राज्यसभा से भी पास हुआ ओबीसी आरक्षण बिल,OBC की लिस्ट अब राज्य भी बना पाएंगे

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नई दिल्ली। कल मंगलवार को लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यों को ओबीसी आरक्षण सूची तैयार करने का अधिकार देने वाला 127वां संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पास हो गया है।संसद के उच्च सदन में मौजूद सभी 186 सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया। इससे पहले मंगलवार को लोकसभा ने भी इस बिल को मंजूरी दी थी।
मानसून सत्र के दौरान यह पहला मौका था, जब उच्च सदन ने किसी बिल पर इतनी लंबी चर्चा की। कांग्रेस और वामदलों समेत लगभग सभी पार्टियों ने इस बिल का समर्थन किया। हालांकि, इस दौरान सरकार को कई मुद्दों पर विपक्ष की आलोचना भी झेलनी पड़ी।

इससे पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार के प्रस्ताव के बाद ओबीसी बिल पर राज्यसभा में चर्चा शुरू हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यह अर्थहीन है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ओबीसी बिल के माध्यम से राज्यों को एक कागजी दस्तावेज भर थमाया जा रहा है, क्योंकि देश के 80 फीसदी राज्यों में आरक्षण की सीमा पहले ही 50 फीसदी को पार कर चुकी है। नगालैंड और मिजोरम में 80 फीसदी, महाराष्ट्र में 65 फीसदी आरक्षण पहले से ही है।

उधर बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा सरकारों ने ही पिछड़ों को सम्मान दिया है। वीपी सिंह की सरकार में जनसंघ के लोग थे, जिसने मंडल आयोग को लागू किया। सुशील मोदी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के मामले में डिपार्टमेंट की जगह विश्विद्यालय को यूनिट माना।

बता दें कि अब इस बिल को राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया जाएगा और उनके हस्ताक्षर के साथ ही पूरे देश में यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा। इसके तहत देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने स्तर पर ओबीसी आरक्षण के लिए जातियों की सूची तय करने और उन्हें कोटा देने का अधिकार होगा।

बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए मराठा कोटे को सुप्रीम कोर्ट से खारिज किए जाने के बाद केंद्र सरकार यह विधेयक लाई थी।
मराठा आरक्षण पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से इस तरह किसी भी समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल नहीं किया जा सकता।

अदालत के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में मिला मराठा आरक्षण खारिज हो गया था और राज्य में आंदोलन शुरू हो गए थे। इसके बाद सरकार यह बिल लाई है। इससे महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की राह आसान होगी। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी प्रदेश सरकारों को अपने मुताबिक सूची तैयार करने का अधिकार मिलेगा। राज्यसभा में इस विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को भी खत्म करने की मांग की।