Yogi 2.0 Cabinet : (लखनऊ)। उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल के कैबिनेट ने शपथ ग्रहण कर लिया है। इस बार पिछले डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा सहित कई बड़े पुराने चेहरों को जगह नहीं दी गई है वहीं नई कैबिनेट में एकमात्र मुस्लिम चेहरे के रूप में दानिश अंसारी को जगह दी गई है। आइए जानते हैं कि दानिश कौन हैं और किस वजह से उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।
पूर्वांचल की बड़ी अंसारी आबादी को साधने का लक्ष्य
यूपी में मुस्लिमों में सबसे बड़ी आबादी अंसारियों की है। दानिश भी अंसारी हैं। अंसारी बिरादरी के लोग मूलत: बुनकर हैं। पूर्वांचल इनका गढ़ है। पीएम मोदी भी पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व करते हैं। भाजपा को 2022 के चुनाव में मुस्लिमों के 8 फीसदी वोट मिले हैं, जो कांग्रेस और बसपा को मिले मतों से भी ज्यादा है। भाजपा की रणनीति इस वोट शेयर को 2024 के चुनाव में बढ़ाने की है। इसलिए दानिश को मंत्री बनाकर भाजपा ने मुस्लिमों के इस ओबीसी वर्ग को साधा है।
2011 में एबीवीपी से जुड़े थे दानिश
दानिश ने 12वीं तक पढ़ाई बलिया में पूरी की, इसके बाद उन्होंने 2006 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकॉम किया। लखनऊ विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट और मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है। दानिश 2011 में एबीवीपी छात्र संगठन से जुड़े थे।
दानिश को भाजपा ने पहला इनाम 2017 में दिया था। तब उन्हें उर्दू भाषा समिति का सदस्य बनाया गया। इसके बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का महामंत्री बनाया गया। दानिश जुलाहा वर्ग से आते हैं। बता दें कि भाजपा को 2022 के चुनाव में मुस्लिमों के 8 फीसदी वोट मिले हैं, जो कांग्रेस और बसपा को मिले मतों से भी ज्यादा है।
गांव में हुई हाईस्कूल तक की पढ़ाई
दानिश बलिया में अपायल गांव के रहने वाले हैं। दानिश के दादा मोहम्मद ताहा अंसारी सुखपुरा गांव के जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक थे। वे गांव वालों के सुख-दुख में साथ रहते थे। उनकी समस्याओं को प्रमुखता से उठाते थे। दादा का असर दानिश पर पड़ा और वे भी राजनीति में उतरे। दानिश के पिता समीउल्लाह अंसारी बलिया में रहते हैं। वे अपने पिता के इकलौते बेटे हैं। उनकी शादी हो चुकी है। उनकी एक बहन फिरदौस हैं, जिनकी शादी हो चुकी है।