वरिष्ठ पत्रकार विष्णुकांत मिश्रा की टिप्पणी
Bihar Politics : (पटना)। ‘खेला’ का एक ‘टाईट’ दृश्य! जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अरुणाचल प्रदेश में उनकी पार्टी के विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर ‘आक्रोश’ में अपने राजनीतिक ‘बड़े भाई’ को गठबंधन धर्म की परिभाषा बताने लगे।
तो उधर, पार्टी के ‘सर्वेसर्वा’ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उससे आगे बढ़कर कर भाजपा को ‘औकात’ बताने की चेष्टा की। समस्तीपुर में आयोजित अपने समाज सुधार अभियान के कार्यक्रम में मौजूद किसी भाजपाई मंत्री और विधायक का नाम लेने से परहेज किया।
उनको पदनाम से सम्बोधित किया। जबकि जदयू के मंत्री-विधायकों का तो नाम लिया ही अपने साथ के सभी ओहदेदार मुख्य सचिव से लेकर जिला मजिस्ट्रेट और डीजीपी से लेकर एसपी तक नाम लिया। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ‘तिलमिलाहट’ और मुख्य मंत्री के ‘उपेक्षित ब्यवहार’ का गुढ़ राजनीतिक निहितार्थ तो नहीं?
आज सियासी अन्दरखाने में जो कुछ राजनीतिक ‘खिंचतान’ चल रहा है उससे इसके गंभीर ‘मायने’ तो निकलता ही है। अरुणाचल की घटना संभवतः भाजपा का एक ‘प्रयोग’ है। इससे होनेवाली प्रतिक्रिया के मूल्यांकन के बाद वह कोई कदम उठायेगी। लेकिन अब लगता है ‘पांचजन्य’ फूंक दिया गया। ‘युद्ध विराम’ की संभावना कम लगती है।