मुजफ्फरपुर। जिले में बागमती के बाद अब लखदेई और मनुषमारा नदी ने बाढ़ का कहर बरपाना शुरू कर दिया है। लोग बचाव के लिए घर छोड़ छत को अपना आशियाना बनाए हुए हैं। औराई की सरहंचिया पंचायत के मधुबन प्रताप और आसपास के गांव के लोगों के लिए बरसात कहर बनकर आती है। हर साल की तरह इस बार भी लोग बाढ़ से बेहाल हैं।
लोग अपनी छतों पर रहने को मजबूर हैं, क्योंकि नीचे हर जगह पानी ही पानी है। यहां लोगों ने थर्मोकोल की नाव बनाई है, जिससे यह किसी तरह अपना राशन-पानी लेने घर के बाहर मुश्किल से ही निकलते हैं। यहां के लोग 4 महीने इसी बदहाल स्थिति में जीते हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। लोगों का कहना है कि नेतागण यहां तब आते हैं, जब चुनाव का समय आता है।
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क्षेत्र के सरहंचिया पंचायत के मधुबन प्रताप और पास के गांव पटोरी टोला, बाड़ा खुर्द व बाड़ा बुजुर्ग के लोग हर साल बागमती की विभीषिका झेलते हैं। आलम यह है कि बागमती दक्षिणी तटबंध के मधुबन घाट पर विकराल रूप ले चुकी बागमती की धारा को बड़ी नाव से लोग गांव पहुंचते हैं। इसके बाद छोटी नाव या थर्मोकोल के जुगाड़ नाव के सहारे गांव के अंदर ऊंचे स्थानों पर बने अपने घरों में जाते हैं। गांव के एक व्यक्ति हीरालाल ने बताया कि हम लोग अपनी छत पर रह रहे हैं। प्रशासन की अभी तक कोई मदद नहीं पहुंची है।
एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलना उनकी नियति बन चुकी है। अब तक सरकार द्वारा बसावट की जमीन गांव में किसी को नहीं मिली है। लगभग 25 फीसदी लोगों को अब तक पैसे भी नहीं मिले हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि बांध के पार 5-10 लाख रुपए कट्ठा जमीन खरीदकर घर बना सकें। मजबूरन उन्हें 4 महीने तक लाचार जिंदगी जीनी पड़ती है।
बांध पर क्यों नहीं जाते हैं? यह सवाल पूछने पर थर्मोकोल की नाव पर बैठी एक महिला शैल देवी सवाल सुनते ही बिफर पड़ी। उन्होंने कहा कि धूप में बच्चों और जानवरों को लेकर कहां जाएंगे। उन्हें तो एक पॉलिथीन तक नसीब नहीं। उधर गांव में जमींदोज हो चुके विद्यालय की जगह पर जन सहयोग से चादर और फूस का विद्यालय बनाया गया था, वहां भी अब पानी ही पानी है।
एक ओर जहां बागमती नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण बभनगावां पश्चिम में तकरीबन 150-200 घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। वहीं बाड़ा बुजुर्ग, बाड़ा खुमहुआरा, राघोपुर तरवन्ना में भी 100 घरों मे बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। मधुबन प्रताप में विस्थापित परिवार के लोगों ने 10 फीट की ऊंचाई तक जमीन को भरकर झोपड़ीनुमा आशियाने में जिंदगी बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।
इधर लखनदेई नदी के टूटे पश्चिमी तटबंध के रास्ते जलस्तर बढऩे से बैदनाथ बेसी, उसरी बेसी, नयागांव, परसामा टोला, हरपुर वेसी, बभनगावां पूर्वी समेत आधा दर्जन गांव में बाढ़ का पानी फैल गया है। इससे सैकड़ों एकड़ में लगे धान का बिचड़ा, सब्जी, मक्का, मूंग, बाजरा, पशुचारा समेत कई फसलें डूब कर बर्बाद हो गई हैं।
वहीं मनुषमारा नदी का पानी भी तीव्र गति से सीतामढ़ी जिले के बेलसंड से होकर सैदपुर थाना क्षेत्र के रुन्नी सैदपुर होते धरहरवा मे प्रवेश कर गया है और लखनदेई नदी में गिरने लगा है। इससे धरहरवा गोट टोला, लक्षमिनिया टोल, हनुमान नगर, रामबाग, महाविर स्थान, अंबेदकर नगर, पर्री मुशहरी के साथ घनश्यामपुर पंचायत के गंगुली, मधुवन समेत कई गांवों के चौर मे पानी फैल गया है। पानी के घुसने से कई पगडंडी और ग्रामीण सड़कें डूब चुकी हैं।