नीतीश के बिना भी बन सकती है तेजस्वी की सरकार, इस समीकरण से बन सकते हैं CM

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Bihar Politics: बिहार में तेजी से बदल रहे सियासी घटनाक्रम का पटाक्षेप होने वाला है. अगले एक-दो दिन में बिहार में फिर 2020 के फॉर्मूले पर जदयू और भाजपा यानी एनडीए की सरकार बनने की संभावना है. इस सरकार के भी मुखिया नीतीश कुमार ही होंगे. राज्य की वर्तमान सियासी हलचल के बीच जेडीयू, राजद, भाजपा और कांग्रेस ने अपने दलों की शनिवार को बैठक बुलाई है. राजद की बैठक में सभी विधायक, विधान पार्षद समेत तमाम बड़े नेता मौजूद रहेंगे. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने यह बैठक बुलाई है. कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी होनी है. भाजपा की बैठक प्रदेश कार्यालय में होगी. माना जा रहा है कि विधायकों का हस्ताक्षर युक्त समर्थन बैठक के बाद भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप देगी.

क्या तेजस्वी यादव फिर से सरकार बनाएंगे. तो चलिए आज की मौजूदा समीकरण से समझने की कोशिश करते हैं कि अगर नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया तब इस परिस्थिति में क्या होगा?

पहले समझिए बिहार का मौजूदा समीकरण

बिहार विधानसभा कुल 243 सदस्य वाला सदन है. सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत पड़ती है. लालू यादव की आरजेडी 79 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. वहीं बीजेपी 78 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर है. यानी आरजेडी और भाजपा दोनों अकेले दम पर सरकार नहीं बना सकती. इसलिए इन दोनों को नीतीश कुमार की जरूरत है.

राजद में भी चल रहा बैठकों का दौर : इस बीच राजद भी चुप नहीं बैठा है और विपरीत परिस्थितियों में भी सरकार गठन की उम्मीद नहीं छोड़ी है चूंकि संख्याबल के लिहाज से आरजेडी बिहार विधानसभा में सबसे बड़ा दल है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद ऐक्टिव हो गए हैं और उन्होंने पटना स्थित राबड़ी आवास पर पार्टी के अहम नेताओं के साथ कई दौर की वार्ता की है. इस बीच वे जीतनराम मांझी की हम पार्टी को भी अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रहे हैं.

लालू हुए एक्टिव: ऐसे बहुमत का यहां आंकड़ा बहुत ज्यादा नहीं है और इसलिए बिहार की सियासत में कई तरह की चर्चा शुरू है. लालू प्रसाद यादव भी सक्रिय हो गए हैं. क्योंकि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है और अपनी तरफ से उसकी कोशिश भी शुरू हो गई है. चर्चा है कि जीतन राम मांझी से भी लालू प्रसाद यादव बात कर सकते हैं और उन्हें मनाने की कोशिश कर सकते हैं. जदयू के नाराज विधायकों को भी अपने पाले में लाने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसे में मुश्किल बढ़ सकती है. आइए जानते हैं कि बिहार विधानसभा में किस दल की क्या है ताकत..

2020 विधानसभा चुनाव के बाद बदला गणित: बिहार में राजद के पास 79 विधायक हैं. वहीं जदयू के पास 45 विधायक, कांग्रेस के पास 19 विधायक और वाम दलों के पास 16 विधायक हैं. एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी जदयू को मिला हुआ है. यानी कुल 160 विधायक अभी महागठबंधन के साथ हैं. एआईएमआईएम के एक विधायक भी विपक्ष में हैं. ऐसे तो पांच विधायक एआईएमआईएम के जीत के आए थे जिसमें से चार आरजेडी में शामिल हो गए और इसलिए अब एक विधायक एआईएमआईएम के पास बच गए हैं.

नीतीश के पाला बदलने के बाद का गणित: दूसरी तरफ एनडीए की बात करें तो बीजेपी के पास 78 विधायक हैं. जीतन मांझी की पार्टी हम के पास चार विधायक यानी कुल 82 विधायकों का ही समर्थन अभी एनडीए के पास है. लेकिन पाला बदलते ही नीतीश कुमार के 45 और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन मिलने से यह संख्या 128 हो जाएगी. बहुमत का आंकड़ा 122 से 6 अधिक हो जाएगा.

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