Sawan 2023: सावन सोमवार के व्रत में क्या करें और क्या न करें जान लें तभी मिलेगा पूजा का पूरा फल

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Sawan 2023 Monday Fast Rules: सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से भक्तों पर शिवजी और पार्वती जी की अपार कृपा बरसाती है। इसके साथ ही महादेव व्रत करने वालों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। कहते हैं कि इस महीने में भोलेनाथ माता पार्वती के साथ धरती पर भ्रमण करने के लिए आते हैं। इस दौरान वे अपने सच्चे भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। मान्यता है कि भगवान शिवजी भोले हैं और बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। प्रसन्न होने पर मनचाही मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। भोलेनाथ आशुतोष हैं और वह जलाभिषेक से अधिक प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा भगवान शिव को फूल पत्ती अधिक पसंद है इसलिए उन्हें फलाहारी देवता भी कहा जाता जो व्यक्ति सोमवार के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करता है। शिवलिंग पर जल दूध व बेल पत्र इत्यादि अर्पित करता है, उससे भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। साथ ही वह अपने भक्तों को धन, ऐश्वर्य और बुद्धि का वरदान देते हैं।

भगवान शिव की पूजा में न करें इन चीजों का इस्तेमाल

Shiv Puja ke Niyam, Somwar Upay: शास्त्रों में बताया गया है कि महादेव को कनेर और कमल के फूल ही अर्पित करना चाहिए। इनके अलावा अन्य फूल का प्रयोग ना करें। साथ ही लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े का फूल भी अर्पित नहीं करना चाहिए। इन फूलों का उपयोग करके व्यक्ति को पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। भगवान शिव की पूजा में कुमकुम और रोली का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि शिवलिंग पर जल अर्पित करने के बाद रोली ना चढ़ाएं। ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं।

शिवजी को कैसे चढ़ाएं जल?

सावन के महीने में शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाना बहुत फलदायी माना जाता है। लेकिन शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाने से पहले पात्र के बारे में जरूर सोच लें। शास्त्रों और पुराणों के मुताबिक भगवान को स्टील या तांबे के लोटे से जल या दूध नहीं अर्पित नहीं करना चाहिए। उन्हें दूध अर्पित करने के लिए पीतल के लोटे का ही प्रयोग करें।

बेलपत्र चढ़ाने के नियम

भगवान शिव की पूजा में चढ़ाए गए बेलपत्र को सोमवार के दिन नहीं तोड़ा जाता है। ऐसे में इसे एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें। शिवलिंग पर बेल चढ़ाने से पहले यह देख लें कि पत्तियां सुडौल हों, वह कटी-फटी तो नहीं हों। बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए। साथ ही इसे सीधा चढ़ाएं ताकि इसकी चिकनी परत ऊपर रहे।

भूलकर भी न चढाएं तुलसी का पत्ता

शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि भगवान शिव को तुलसी पत्र चढ़ाना वर्जित है। इसके पीछे कारण यह बताया जाता है की असुरों के राजा जलंधर का वध भगवान शिव ने किया था। जिसकी पत्नी वृंदा ने तुलसी के पौधे का रूप ले लिया था। इसलिए भगवान शिव की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल ना हो इस बात को स्वयं वृंदा ने कहा था।

  • सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • भगवान शिव का और सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • पुष्प अर्पित करें।
  • भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। …
  • भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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