क्या है इनसाइड स्टोरी-जीतनराम मांझी और मुकेश साहनी के हालिया बयानों की

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पटना। बिहार में अभी एनडीए की सरकार है। जेडीयू, बीजेपी, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की हम पार्टी और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी इस सरकार में शामिल हैं। जहां मांझी के पुत्र सरकार में मंत्री हैं, वहीं मुकेश साहनी खुद मंत्रिमंडल में शामिल हैं। बावजूद इसके हाल में सरकार के कुछ निर्णयों को लेकर मांझी और साहनी ने अलग बयान दिए हैं। इन बयानों को राजद नीत विपक्षी गठबंधन जहां हाथोंहाथ ले रहा है, वहीं जेडीयू और बीजेपी के कुछ नेताओं ने मांझी और साहनी पर निशाना साध दिया है। ऐसे में राजनीतिक जानकर भी उलझ जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (File photo)

वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बयानबाजी का यह दौर प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा भी हो सकता है। चूंकि दोनों दलों हम और वीआईपी द्वारा पिछले बिहार विधान सभा चुनावों के समय भी सीट शेयरिंग को लेकर इस तरह की प्रेशर पॉलिटिक्स की जा चुकी है। राजनीतिक विश्लेषक हाल में कुछ बीजेपी नेताओं द्वारा दिए गए बयानों को भी इसी से जोड़कर देख रहे हैं। हाल में बीजेपी के कुछ नेताओं के सवाल उठाते बयानों के बाद जेडीयू के कुछ नेताओं द्वारा कड़ी प्रतिक्रिया दी गई थी।

243 सीटों वाले बिहार विधानसभा की बात करें तो सत्ताधारी गठबंधन के पास फिलहाल 127 सीट है, यानि बहुमत से 5 सीट ज्यादा। यह काफी क्षीण बहुमत है और विपक्ष इसी में सेंध लगाने की कोशिश कर सकता है। विगत चुनावों में बीजेपी को 74, जेडीयू को 43, हम को 4 और वीआईपी को भी 4 सीट हासिल हुई थी। बाद में लोजपा के एकमात्र विधायक और एकमात्र निर्दलीय विधायक ने भी सरकार को समर्थन दे दिया था। वहीं विपक्षी गठबंधन की बात करें तो उनके पास फिलहाल 110 सीट हैं। इनमें राजद के पास 75, कांग्रेस 19, भाकपा(माले) 12, भाकपा 2, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम 5 तथा अन्य को 8 सीटें हैं।
बिहार में जब फिर से एनडीए की सरकार बनी तो दोनों दलों से एक-एक मंत्री बनाए जाने का फैसला हुआ। इस परिप्रेक्ष्य में ‘हम’ पार्टी से जीतनराम मांझी के पुत्र और ‘वीआईपी’ पार्टी से विधानसभा चुनाव हार जाने के बावजूद स्वयं मुकेश साहनी मंत्री बने थे। अब मांझी के हालिया बयानों से कई तरह के राजनीतिक कयासों का बाजार गर्म हो रहा है।

वैसे मांझी की पार्टी पहले राजद के साथ ही थी। नवंबर 2020 के विधानसभा चुनावों के ऐन पहले वे और वीआईपी पार्टी एनडीए में शामिल हो गए थे। उस वक्त भी सीट बंटवारे को लेकर खूब खींचातानी चली थी। बाद में बीजेपी और जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व द्वारा फैसला किया गया था कि चुनाव लड़ने के लिए दोनों दलों के हिस्से में जितनी सीटें आएंगी, उनमें से जेडीयू अपने कोटे की सीट में से जीतनराम मांझी की ‘हम’ पार्टी को और बीजेपी अपने हिस्से की सीट में से मुकेश साहनी की ‘वीआईपी’ पार्टी को सीट देगी और ऐसा ही हुआ भी।

243 सीटों वाले बिहार विधानसभा की बात करें तो सत्ताधारी गठबंधन के पास फिलहाल 127 सीट है, यानि बहुमत से 5 सीट ज्यादा। यह काफी क्षीण बहुमत है और विपक्ष इसी में सेंध लगाने की कोशिश कर सकता है। विगत चुनावों में बीजेपी को 74, जेडीयू को 43, हम को 4 और वीआईपी को भी 4 सीट हासिल हुई थी। बाद में लोजपा के एकमात्र विधायक और एकमात्र निर्दलीय विधायक ने भी सरकार को समर्थन दे दिया था। वहीं विपक्षी गठबंधन की बात करें तो उनके पास फिलहाल 110 सीट हैं। इनमें राजद के पास 75, कांग्रेस 19, भाकपा(माले) 12, भाकपा 2, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम 5 तथा अन्य को 8 सीटें हैं।

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