तो क्या कांग्रेस में एक और टूट की पड़ चुकी बुनियाद?जानें पार्टी में अबतक हुई टूट का इतिहास

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नई दिल्ली। तो क्या कांग्रेस में एक और टूट की बुनियाद पड़ती जा रही है? ऐसी संभावना विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद असंतुष्ट जी-23 गुट के नेताओं की अचानक बढ़ी सक्रियता और उनके बयानों के कारण व्यक्त की जा रही है। बता दें कि जी-23 के नेता लगातार बैठकें कर रहे हैं और खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन की मांग भी उठा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस आलाकमान ने विधानसभा चुनावों में हार के बाद बैठक तो जरूर बुलाई लेकिन उसके बाद पांचों राज्यों के पार्टी अध्यक्ष से इस्तीफा ले लिया गया और अप्रैल में समीक्षा बैठक की बात कही गई। हालांकि, इन सबसे जी-23 गुट सन्तुष्ट नहीं दिख रहा।

जी-23 गुट की 24 घँटे में दूसरी बार हुई बैठक

इन सबके बीच कांग्रेस पार्टी के असंतुष्ट जी-23 के नेताओं की गुरुवार, 17 मार्च को 24 घंटे के भीतर दूसरी बार बैठक हुई है। बुधवार रात को भी इन जी-23 नेताओं की बैठक हुई थी। दोनों बैठक ग्रुप के नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की मांग तेज हो गई है। हार के बाद जी-23 के नेताओं द्वारा नेतृत्व परिवर्तन को लेकर पार्टी पर हमले भी तेज कर दिए हैं।

जी-23 ग्रुप के नेताओं की दूसरी बैठक में कपिल सिब्बल, भूपिंदर सिंह हुड्डा और आनंद शर्मा शामिल थे। हुड्डा ने दिन में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इसके बाद वो जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद से भी मुलाकात की थी। जी-23 ग्रुप के नेताओं की बुधवार को हुई बैठक के बाद बयान जारी कर कहा गया था ‘हमारा मानना है कि कांग्रेस के लिए आगे बढ़ने का यही तरीका है कि सामूहिक और समावेशी नेतृत्व की व्यवस्था अपनाई जाए और हर स्तर पर निर्णय हो।’ 

असंतुष्ट नेताओं के तेवर संकेत दे रहे टूट का

असंतुष्ट नेताओं की लगातार बैठक और सख्त तेवर से लगता है कि 1999 और 2011 की तरह कांग्रेस एक और टूट की ओर अग्रसर है। जी-23 के नेताओं ने ताजा बैठक में ‘सामूहिक और समावेशी नेतृत्व’ की बात पर जोर दिया है। असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि हमारा मानना है कि आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका सभी स्तर पर सामूहिक, समावेशी नेतृत्व को अपनाना है।

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि भाजपा को 2024 में चुनौती देने के लिए एक मजबूत विकल्प की जरूरत है। कांग्रेस हाईकमान सामान्य विचारधारा वाले दलों से बात करे। पार्टी ने एक लेटर भी जारी किया है। इस पर गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और विवेक तन्खा समेत 18 असंतुष्ट नेताओं के हस्ताक्षर हैं। इस बार शशि थरूर का हस्ताक्षर चौंकाने वाला है।

आइए एक नजर डालते हैं कांग्रेस में अबतक की फूट पर

  1. सबसे पहले 1951 में पहली बार उस समय फूट हुआ जब जेबी कृपलानी ने अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई।
  2. सी राजगोपालाचारी ने इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई। 3. 1967 में चौधरी चरण ने भारतीय क्रांति दल बनाया।
  3. इंदिरा गांधी ने कांग्रेस से बर्खास्तगी के बाद 1989 में कांग्रेस आर बनाई। इसका चुनाव चिन्ह गाय और बछड़ा था। कालांतर में यही पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस बनी जो आज तक कायम है।
  4. पूर्व पीएम वीपी सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर जनमोर्चा के नाम से 1988 में नया दल बनाया और प्रधानमंत्री बने।
  5. 1998 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस बनाई।
  6. 1999 में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, पीए संगमा, तारिक अनवर ने मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस की स्थापना की।
  7. 2011 में जगन मोहन रेड्डी ने वायएसआर कांग्रेस बनाई।
  8. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, अर्जुन सिंह, माधव राव सिंधिया, नारायण दत्त तिवारी, पी चिदंंबरम आदि नेताओं ने भी कांग्रेस से अलग होकर पार्टियां बनाई। ये बात अलग है कि ये फिर कांग्रेस में लौट आये।



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