छपरा। महेंद्र मिश्र भले छपरा के सपूत हैं लेकिन वह पूरे विश्व के लोक संगीत के प्रेरणास्रोत हैं। इसलिए उन पर पूरी दुनिया में और सभी भाषाओं में काम होना चाहिए। उनकी कहानी पर फिल्में तो बननी हीं चाहिए।उक्त बातें पूर्वी के बेताज बादशाह महेंद्र मिश्र की जयंती के अवसर पर छपरा में आयोजित समारोह में सुप्रसिद्ध कवि मनोज भावुक ने कही।इस अवसर पर मनोज भावुक को छपरा के डीएम राजेश मीना और एस पी संतोष कुमार ने संयुक्त रूप से सम्मानित भी किया।
मनोज भावुक भोजपुरी भाषा के जाने-माने लेखक एवं टीवी पत्रकार हैं। लगभग एक दशक तक अफ्रीका एवं यूके में बतौर इंजीनियर सेवा देने के बाद मनोज पूरी तरह मीडिया से जुड़ गए और ज़ी टीवी, टाइम्स नाउ समेत अनेक चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम किया। आप जी टीवी के लोकप्रिय रियलिटी शो सारेगामापा (रीजनल) के प्रोजेक्ट हैड रहे हैं। कई पुस्तकों के प्रणेता हैं। टीवी एंकर और अंतरराष्ट्रीय मंच संचालक हैं। आपने कई फिल्मों और धारावाहिकों में अभिनय किया है।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन की दिल्ली और इंग्लैंड इकाई के अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में नारायणी साहित्य अकादमी के महासचिव, भोजपुरी जंक्शन पत्रिका के संपादक, अचीवर्स जंक्शन के निदेशक और कई मीडिया ग्रुप में बतौर कंसल्टेंट सेवा दे रहे हैं।
भावुक को अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा जा चुका है।मनोज भावुक ने महेंद्र मिश्र जयंती समारोह में एकता भवन छपरा में आयोजित कवि सम्मेलन का शानदार संचालन किया। साथ हीं महेंद्र मिश्र के गाँव काहीं मिश्रवलिया से सटे जलालपुर में आयोजित परिचर्चा व चित्र प्रदर्शनी में भी भाग लिया।भोजपुरी के
अमर गीतकार महेंद्र मिश्र पर आधारित आचार्य पांडेय कपिल के लोकप्रिय उपन्यास फुलसूंघी का आज से 25 साल पहले मनोज भावुक ने नाट्य रूपांतरण व मंचन किया। तब से अनवरत महेंद्र मिश्र की रोचक और प्रेरक कहानी को विश्व की तमाम कला-संस्थाओं, संस्कृतिकर्मियों, चिंतक और पत्रकारों तक पहुंचाने का काम मनोज कर रहे हैं।
देश के कोने-कोने से आये कलाकारों, कवियों, लेखकों और समाजसेवियों के बीच मनोज ने महेंद्र मिश्र पर बने टीवी सीरियल और फ़िल्म के लिए किए गए प्रयासों के रोचक घटनाक्रम को सुनाया और साथ हीं अपने गीत-गजलों को सुनाकर जनता का भरपूर मनोरंजन भी किया।