BJP in By-election : देश के 13 राज्यों की 29 विधानसभा सीटों और 4 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम बीजेपी (Bharatiya Janta Party) के लिए खतरे की घण्टी है। उपचुनाव में 22 सीटों पर मैदान में उतरी भाजपा के खाते में महज 7 सीटें ही आई हैं। वहीं लोकसभा उपचुनाव (Parliamentary By-election) में 4 में से उसे मात्र एक सीट हासिल हुई है। हिमाचल प्रदेश में जीती हुई सीट पर पार्टी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई है। वहीं, बंगाल में भी विधानसभा की जीती हुई सीट पर हार का सामना करना पड़ा है।
अब इसे देश मे चल रहे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) का असर कहें या पेट्रोल- डीजल की कीमतों में लगी आग (Petrol Diesel price hike) और बेतहाशा महंगाई का। अगले साल उत्तरप्रदेश (Uttarpradesh Assembly Elections) सहित कई राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनावों का रिहर्सल कहे जा रहे इन उपचुनावों में बीजेपी की हालत खस्ता हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने तो बयान जारी कर इन चुनाव परिणामों को बीजेपी के लिए चेतावनी करार दे दिया है।
उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों में अगले साल होनेवाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत उपचुनावों (By-election results) के ये परिणाम बीजेपी (BJP) के लिए खतरे की घण्टी है। पार्टी को अब इसपर बड़े स्तर पर आत्मचिंतन करने की जरूरत होगी। बात अगर इन परिणामों के असर की करें तो कुछ राज्यों में पार्टी की अंदरूनी खींचतान इस चुनाव परिणाम के बाद बढ़ सकती है। वहीं, पार्टी की नीति और नेतृत्व पर भी पार्टी के भीतर से सवाल उठ सकते हैं।
दीवाली से ऐन पहले 13 राज्यों में हुए विधानसभा और लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी को करारा झटका लगा है। एक तरफ हिमाचल (Himachal Pradesh) में उसे एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट खोनी पड़ी है तो वहीं टीएमसी ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में क्लीन स्वीप करके करारा झटका दिया है।
हिमाचल में तो भाजपा कैंडिडेट की जमानत तक जब्त हो गई है। देश के कुल 29 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में से भाजपा 22 पर मुकाबले में उतरी थी, लेकिन महज 8 सीटों पर ही जीत हासिल करती दिख रही है।
वहीं, कांग्रेस का प्रदर्शन इन उपचुनावों में अच्छा रहा है। केंद्र सहित देश के सर्वाधिक राज्यों में सत्तारूढ़ बीजेपी को हिमाचल में करारा झटका देते हुए कांग्रेस ने यहां क्लीन स्वीप कर दिया है।
वहीं राजस्थान में भी उसने भाजपा का गढ़ कही जाने वाली धरियावाद सीट पर अपना परचम लहराया है। इसके अलावा वल्लभनगर सीट से भी जीत हासिल की है, जो कांग्रेस का हमेशा से गढ़ रही है।
इन उपचुनावों में हिमाचल प्रदेश की कुल 3 सीटों, फतेहपुर, जुब्बल कोटखाई, अर्की में से सभी पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। यही नहीं अपनी जीती हुई कोटखाई की सीट भी उसने कांग्रेस के हाथों गंवा दी है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी रोहित ठाकुर को जीत मिली। रोहित ठाकुर को 29447 वोट मिले। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी चेतन बरागटा 23344 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे।
जबकि भाजपा प्रत्याशी नीलम सरैइक को महज 2584 वोट मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई। जीती हुई सीट पर जमानत जब्त कराना भाजपा के लिए बड़ी किरकिरी है और इससे आने वाले दिनों में नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं।
वहीं, हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने जीत हासिल की है। प्रतिभा सिंह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं। खास बात है कि यह सीट पहले भाजपा के ही कब्जे में थी और वहां से पार्टी के सांसद रहे रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद खाली हुई थी।
भाजपा शासित दूसरे राज्य मध्य प्रदेश की बात की जाय, तो यहां भाजपा के लिए स्थिति कुछ संतोषजनक कही जा सकती है। यहां पार्टी ने तीन में से दो सीटों, जोहट और पृथ्वीपुर, पर जीत हासिल कर ली है।
हालांकि, रैगांव विधानसभा सीट बीजेपी गंवाती दिख रही है, जिस सीट पर पार्टी पिछले 31 सालों से काबिज थी। हालांकि उसके लिए राहत की बात है कि प्रदेश के खंडवा लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार ज्ञानेश्वर पाटिल आगे चल रहे हैं।
उधर, पश्चिम बंगाल में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है और अपनी जीती हुई दो सीटें भी खोनी पड़ी हैं। यही नहीं तीन सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत का अंतर 1 लाख के करीब रहा है। इससे पता चलता है कि भाजपा को कितनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।
दिनहाटा उपचुनाव में टीएमसी के उदयन गुहा ने 1,64,089 के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की, जबकि पार्टी के सोवन्देब चट्टोपाध्याय ने खरदाह से 93,832 मतों के अंतर से जीत हासिल की। बंगाल की गोसाबा सीट पर भी टीएमसी ने अपना कब्जा किया है।