Jim Corbett National Park: (उत्तराखण्ड)। डिस्कवरी चैनल (Discovery Channel) के शो ‘मैन वर्सेज़ वाइल्ड’ की शूटिंग के लिए साल 2019 में उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने टाइगर सफारी प्रोजेक्ट की घोषणा की थी।
इसके लिए राज्य सरकार ने पर्यावरण मंत्रालय से 163 पेड़ काटने की मंज़ूरी मांगी थी। अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक वकील व कार्यकर्ता गौरव बंसल ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) में दायर एक याचिका में दस हज़ार पेड़ काटे जाने का दावा किया है।
इसे लेकर उस समय कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि जब पूरा देश पुलवामा हमले (Pulwama attack) में जान गंवाने वाले जवानों को लेकर शोक मना रहा था उस समय प्रधानमंत्री जिम कॉर्बेट पार्क में शाम को एक फिल्म की शूटिंग में व्यस्त थे।
Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता गौरव बंसल ने पिछले महीने 26 अगस्त को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी की व्यवस्था करने के लिए 10,000 पेड़ काटे गए हैं।
इसे लेकर बीते शुक्रवार को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की उप महानिरीक्षक वन सोनाली घोष ने उत्तराखंड वन विभाग को पत्र लिखकर इस मामले की वास्तविक स्थिति बताने को कहा है।
उत्तराखंड (Uttarakhand) के वन क्षेत्र प्रमुख राजीव भरतरी ने कहा कि उन्होंने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) से एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। साल 2019 में उत्तराखंड सरकार ने टाइगर सफारी प्रोजेक्ट (Tiger Safari Project) लागू करने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी। उन्होंने अपने आवेदन में कहा था कि इसमें 163 पेड़ काटे जाएंगे।
हालांकि अब बंसल ने अपने याचिका में मांग की है कि काटे गए पेड़ों की वास्तविक संख्या बताई जाए। उन्होंने इस परियोजना को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मिली मंजूरी को भी रद्द करने की मांग की है।
यह भी पढ़ें – 67वीं बीपीएससी परीक्षा में 103 और रिक्तियां, अब कुल 606 पदों के लिए जल्द आएगा विज्ञापन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंसल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए इतने पेड़ काटे गए है। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने साल 2001 में अपने एक आदेश में कहा था कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) में किसी भी स्थिति में कोई भी पेड़ नहीं काटा जाना चाहिए.’ बंसल ने कहा कि कॉर्बेट के पाखरो ब्लॉक में गैर-वन कार्यों के लिए वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा दो के तहत वन सलाहकार समिति से मंजूरी की आवश्यकता होती है।
उधर, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन पाखरो में टाइगर सफारी के लिए पेड़ कटान को लेकर उठे विवाद के बाद विभाग ने साफ किया कि वहां 163 पेड़ों के कटान की अनुमति मिली थी और इन्हीं का कटान हुआ। 10 हजार पेड़ों के कटान का आरोप पूरी तरह से निराधार है। जांच के बाद रिपोर्ट महानिदेशक वन और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को भेज दी गई है।
यह भी पढ़ें – सुविधा: वाराणसी मंडल पर 20 जोड़ी स्पेशल अनारक्षित ट्रेनों के लिए मिल रही है एमएसटी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2019 में कार्बेट भ्रमण के दौरान वहां टाइगर सफारी की घोषणा की थी। इसके बाद प्रदेश सरकार ने इस घोषणा को धरातल पर उतारने के लिए कवायद शुरू की और फिर पाखरो में टाइगर सफारी के लिए 106 हेक्टेयर भूमि चयनित की गई। वहां प्राकृतवास में बाघों के लिए दो बाड़े तैयार करने के साथ ही अन्य कार्य चल रहे हैं। सभी कार्य लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुके हैं। इस बीच ये बात सामने आई कि पाखरो में टाइगर सफारी के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों पर आरी चला दी गई। आरोप यह तक लगा कि करीब 10 हजार पेड़ काटे गए हैं, जबकि अनुमति केवल 163 पेड़ों की थी।
बता दें कि पेड़ कटान का प्रकरण मीडिया में सुर्खियां बनने पर वन महकमे में हड़कंप मच गया। आनन-फानन कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन (Tiger Reserve Administration) से मामले में रिपोर्ट तलब की गई। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाखरो में टाइगर सफारी के लिए जितने पेड़ों के कटान की अनुमति ली गई थी और उतने ही काटे गए। सफारी के लिए इससे इतर कोई पेड़ नहीं काटा गया है।