मुकेश अंबानी भी बनाएंगे कोरोना की वैक्सीन, क्लिनिकल ट्रायल को मिली मंजूरी

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सेंट्रल डेस्क। देश में कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच वैक्सिनेशन को इससे लड़ाई का सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। भारत में अबतक छह कंपनियों, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, रूस की स्पूतनिक वी, अमेरिकी कंपनियों मॉडर्ना की वैक्सीन, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन और जाइड्स कैडिला की वैक्सीन जाइकोव-डी को मंजूरी मिल चुकी है। अब एशिया के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी भी कोरोना वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में उतरने जा रहे हैं और अब वे भी कोरोना की वैक्सीन बनाएंगे। मुकेश अंबानी की कंपनी को वैक्सीन की क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी भी मिल गई है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस लाइफ साइंसेज यह वैक्सीन तैयार कर रही है और रिलायंस द्वारा तैयार की जा रही इस वैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल्स के लिए मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी भारत के दवा नियामक प्राधिकरण यानि डीसीए ने गुरुवार को दी है। रिलायंस लाइफ साइंसेज की यह वैक्सीन दो डोज वाली होगी। रिलायंस लाइफ साइंसेज की यह एक रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन वैक्सीन होगी, जिस तरह की वैक्सीन बायोलॉजिकल-ई कंपनी द्वारा विकसित की जा रही है।

बता दें कि रिलायंस लाइफ साइंसेज एक फार्मा मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है, जो रिलायंस इंडिस्ट्रीज लिमिटेड का हिस्सा है। बताया जा रहा है कि वैक्सीन को कंपनी की नवी मुंबई फैसिलिटी में विकसित किया जा रहा है और इसका मूल्य बाजार के अन्य वैक्सीन के मुकाबले में कंपीटिटिव होने की उम्मीद है।

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भारत के दवा नियामक प्राधिकरण के विषय विशेषज्ञ समिति की गुरुवार को हुई बैठक में रिलायंस लाइफ साइंसेज के आवेदन की समीक्षा के बाद िसर मंजूरी दे दी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस द्वारा अपनी प्रस्तावित दो-डोज वाली वैक्सीन के फेज-1 ट्रायल के लिए डीआरए से संपर्क किया गया था और इस हेतु आवेदन दिया गया था।

बता दें कि फेज-1 क्लीनिकल ट्रायल्स के जरिए मैक्सिमम टॉलरेटेड डोज निर्धारित करने के उद्देश्य से वैक्सीन की सुरक्षा, सहनशीलता, फार्माकोकाइनेटिक्स और दवाओं की क्रिया के मैकेनिज्म पर विश्वसनीय जानकारी और डेटा प्राप्त किए जाते हैं।

इस दौरान दवा के गुण-दोष, प्रभावों आदि के डेटा का सर्वेक्षण और समीक्षा की जाती है। यह एक जटिल प्रक्रिया मानी जाती है। आमतौर पर फेज-1 ट्रायल्स 58 दिनों का होता है। जिसके पूरा होने के बाद फेज 2 और फेज 3 के लिए ट्रायल के लिए आवेदन किया जाता है।