छपरा। बिहार के छपरा निवासी लब्धप्रतिष्ठ विद्वान, साहित्यकार, भाषाविद, पत्रकार रहे आचार्य डॉ. कात्यायन प्रमोद पारिजात शास्त्री का रविवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे देश के प्रथम एवं द्वितीय राष्ट्रपतियों डॉ. राजेंद्र प्रसाद एवं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विशेष सलाहकार रहे थे।
डॉ. शास्त्री संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, मराठी समेत कई भाषाओं के विद्वान रहे। हिन्दी पत्रकारिता में अपने योगदान के अतिरिक्त, बांग्ला एवं संस्कृत समेत कई भाषाओं में साहित्यिक रचनाएं लिखीं। उनके द्वारा लिखी डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जीवनी अजातशत्रु ‘बाबू’, बौद्ध दर्शन, उड़ते हुए संन्यासी एवं कंदराओं की कालभैरवी, डाको मा बलो मा (बांग्ला) जैसी कई पुस्तकें अपने समय में अत्यधिक लोकप्रिय मानी जाती रहीं।
वे लखनऊ में गोमती पत्रिका के भी संपादक रहे और साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग, दिनमान, कादम्बिनी आदि पत्र-पत्रिकाओं के लिए लंबे समय तक लिखते रहे। आकाशवाणी दिल्ली, लखनऊ, पटना एवं कोलकाता के लिए उन्होंने अपना योगदान दिया था। आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में डॉ. पारिजात शास्त्री ने बाबा राघवदास के नेतृत्व में पूर्वांचल में सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्रा की।