Navratra Day-3 : शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratra) का तीसरा दिन माता रानी के चन्द्रघण्टा स्वरूप की अराधना का दिन है। 9 अक्टूबर 2021, शनिवार को माता के इस विशेष स्वरूप की पूजा विधि ,मंत्र,कथा और आरती के संदर्भ में बात करते हैं लब्धप्रतिष्ठ ज्योतिषाचार्य डाॅ0 सुभाष पाण्डेय से और जानते हैं माॅ चन्द्रघण्टा (Chandraghanta) अपने भक्तों से प्रसन्न होकर अपनी कृपामृत किस तरह बरसाती हैं।
डाॅ0 सुभाष पाण्डेय बताते हैं कि माँ चंद्रघंटा की उत्पत्ति कथा बेहत रमणीय है। कथा के अनुसार जब देवी सती (Devi Sati) ने अपने शरीर को यज्ञ अग्नि में जला दिया था, तब उसके पश्चात् उन्होंने पारवती (Maa Parwati) के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर में पूर्ण जनम लिया। पारवती भगवन शिव (God Shiva) से शादी करना चाहती थी जिसके लिए उन्होंने घोर तपस्या की।
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उनकी शादी के दिन भगवान शिव अपने साथ सभी अघोरियों के साथ देवी पारवती को अपने साथ ले जाने के लिए पहुंचे तो शिव के इस रूप को देखकर उनके माता पिता और अतिथिगण भयभीत हो गए और पारवती की माँ मैना देवी तो दर के कारण मूर्छित ही हो गई।
इन सब को देख कर देवी पारवती ने चंद्र घंटा (Chandraghanta) का रूप धारण किया और भगवन शिव के पास पहुँच गई। उन्होंने बहुत विनम्रता से भगवन शिव से एक आकर्षक राजकुमार के रूप में प्रकट होने के लिए कहा और शिव भी सहमत हो गए। पारवती ने फिर अपने परिवार को संभाला और सभी अप्रिय यादों को मिटा दिया और दोनों का विवाह हो गया है। तब से देवी पारवती को शांति और क्षमा की देवी के रूप में उनके चंद्रघंटा अवतार में पूजा जाता है।
नवरात्रि की तृतीया को होती है देवी चंद्रघंटा की उपासना
मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंधप्रिय है। उनका वाहन सिंह (Lion) है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि (Navratri) में तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा का महत्व है। देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।
माता का स्वरूप :
माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। माता के तीन नैत्र और दस हाथ हैं। इनके कर-कमल गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं, अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं चंद्रघंटा। ये शेर पर आरूढ़ है तथा युद्ध में लड़ने के लिए तत्पर हैं।
माता चन्द्रघण्टा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो ।