गया के विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला पर दूसरे साल भी संशय के बादल, कैसे जलेंगे हजारों घर के चूल्हे, पीएम एवं सीएम को लिखा पत्र

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गया। पितृपक्ष मेले शुरू होने से दो माह पहले से ही शहर में तैयारी शुरू हो जाती थी। लेकिन इस बार अब तक जिला प्रशासन ने गाइडलाइन भी जारी नहीं की है। ऐसे में मेले को लेकर संशय बना हुआ है। पिछले साल कोरोना के चलते मेला नहीं लगा था। वहीं इस वर्ष भी कोरोन की तीसरी लहर को देखते हुए मेले पर संशय के बादल छाए हुए हैं।

दरअसल पितृपक्ष मेला पर आश्रित गया पाल पंडों की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है। कारण है कि पिछले तीन महीने से विष्णुपद मंदिर का कपाट बंद है। कोरोना के चलते पिछले वर्ष भी कोई कमाई नहीं हुई। किराये के साथ सभी जरूरी चीजों के पैसे देने पड़े।

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वहीं इस वर्ष भी अगर पितृपक्ष मेला नहीं लगा, तो पंडा पुरोहितों के साथ तमाम छोटे-बड़े दुकानदार प्रभावित होंगे। जो मेले से कमाई कर साल भर घर परिवार चलाते हैं। जिस मेले के बदौलत वर्ष भर हजारों लोगों की रोजी-रोटी चलती थी। आज वह दाने-दाने को मोहताज है।

पिछले वर्ष पितृपक्ष मेला को लेकर संशय था, लिहाजा एक वर्ष बीत गए।
इधर गयापाल तीर्थवृत्ति सुधारिणी सभा ने कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए पितृपक्ष मेला के आयोजन की अनुमति प्रदान करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है।

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सभा के महामंत्री मणि लाल बारिक ने पत्र के माध्यम से पीएम एवं सीएम का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने डीएम से मिलकर प्रतिलिपि भेंट किया। डीएम ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि आपके मांगो को राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि ब्रह्म काल से गयापाल पंडों का निवास गयाजी में है। पितृपक्ष मेला आदि अनादि काल से अनवरत चलता रहा है। इस मेले से ही गया की ख्याति पूरे विश्व में है। इस वर्ष 19 सितंबर से मेला प्रारंभ हो रहा है जो 9 अक्टूबर तक चलेगा। इसकी धार्मिक महत्वता को जीवंत बनाए रखने के लिए मेले का आयोजन आवश्यक है। प्रत्येक वर्ष हिंदू सनातन धर्मावलंबी भाद्रपद अनंत चतुर्दशी से आश्विन मास की पितृ विसर्जनी अमावस्या तक अपने पितरों के निमित्त पिंडदान और तर्पण करने गयाजी आते हैं। पितृपक्ष मेले से ही गया की अर्थव्यवस्था समृद्ध होती है।

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