पटना। यूं तो बिहार में दावा किया जाता है कि सुशासन की सरकार है। यह जीरो टॉलरेंस की सरकार है और क्राइम कंट्रोल में है, लेकिन अपराधी लगातार धमक दिखा ही देते हैं। हालिया लॉकडाउन के दौरान भी लूट जैसे कई बड़े वारदात दर्ज किए गए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी को एक क्रांतिकारी और युगांतकारी कदम बताते हुए बिहार में लागू किया था।
शराबबंदी कितनी सफल रही, इसका समाज और राज्य पर क्या प्रभाव पड़ा, यह बहस का मुद्दा हो सकता है, चूंकि सबके अपने अलग-अलग दावे हैं। सरकार जहां इससे महिला सशक्तिकरण, सामाजिक सुधार, आपराधिक वारदातों में कमी के दावे करती रही है, वहीं विपक्ष शराबबंदी को विफल बताता रहा है।
सूत्रों के अनुसार, अब बिहार में जल्द ही एक नया नियम लागू हो सकता है।सरकार के सूत्र बताते हैं कि बिहार में कौन एसपी या फिर कौन सा थानेदार कितना बेहतर काम कर रहा है ये शराब तय करेगी। यानि शराब पर कंट्रोल के आधार पर एसपी और थानेदारों के परफार्मेंस का हिसाब किताब होगा।
सरकार शराब की बरामदगी से लेकर शराबबंदी के लिए की गयी कार्रवाई के हिसाब से जिलों और थानों की रैकिंग करेगी। जो जितना ज्यादा शराब पकड़ेगा उसे उतना ज्यादा मार्क्स मिलेंगे। बताया जा रहा है कि बिहार सरकार की मद्यनिषेध इकाई ने इसके लिए फार्मूला तय किया है।
इस फार्मूले के तहत शराब से जुडे मामलों में कुल 100 मार्क्स दिये जायेंगे। जिसे जितना ज्यादा नंबर आया वह उतना सक्षम माना जायेगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक मद्यनिषेध इकाई ने शराबबंदी को लेकर सात बिंदु तय किये हैं। इसके लिए मार्क्स यानि अंक तय किये गये हैं। शराबबंदी के लिए जो जितना अच्छा काम करेगा उसे उतने अंक दिये जायेंगे। उसी आधार पर एसपी से लेकर थानेदारों की कार्यकुशलता तय की जायेगी।
बात अगर शराबबंदी कानून से जुड़े आंकड़ों की करें तो आंकड़े बताते हैं कि पांच वर्ष पूर्व अप्रैल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद जनवरी 2021 तक शराब से संबंधित दो लाख 55 हजार 111 मामले दर्ज किए गए। करीब 51.7 लाख लीटर देशी शराब और 94.9 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई।