PM Modi Photo On Vaccine Certificate: केरल हाईकोर्ट में पिछले दिनों एक याचिका दायर की गई थी जिसमें इस बात की शिकायत थी कि आखिर को-विन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो क्यों दिखती है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी वी कुन्हीकृष्णन ने पूछा कि आखिर एक सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की फोटो होने से क्या दिक्कत है। कोर्ट ने कहा कि जब जवाहर लाल नेहरू के नाम पर यूनिवर्सिटी हो सकती है तो वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की फोटो होना क्यों गलत है।
वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की फोटो को लेकर दायर याचिका की विश्वसनीयता पर केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को सवाल उठाया। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस पीपी कुन्हीकृष्णन ने याचिकाकर्ता से कहाकि अगर किसी पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर देश की यूनिवर्सिटी का नाम हो सकता है तो वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की फोटो होने में क्या हर्ज है? याचिकाकर्ता फिलहाल जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूटी ऑफ लीडरशिप के साथ काम कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अजीत जॉय ने दलील दी कि पर्सनल वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की फोटो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसके साथ ही पीएम मोदी की फोटो मतदान के उनके स्वतंत्र विकल्प का उल्लंघन है। इन दलीलों को सुनने के बाद जज ने कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा… हमें अपने पीएम पर गर्व करना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “वह हमारे प्रधामंत्री हैं, किसी और देश के प्रधानमंत्री नहीं। उन्हें हमारे वोटों से सत्ता मिली है। सिर्फ इसलिए क्योंकि राजनीतिक मतभेद हैं, आप इसे चुनौती नहीं दे सकते… आपको पीएम पर शर्म क्यों आती है? 100 करोड़ लोगों को इससे समस्या नहीं है तो आपको क्यों है। हर किसी के अलग राजनीतिक मत होते हैं, लेकिन फिर भी वो हमारे पीएम हैं। आप न्यायपालिका का समय बर्बाद कर रहे हैं।”
जस्टिस पीपी कुन्हीकृष्णन ने कहाकि वह हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं, किसी गैर देश के नहीं। उन्हें देश की जनता ने चुना है। केवल अपने राजनीतिक मतभेद के चलते आप इस तरह से चीजों को चैलेंज नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप अपने प्रधानमंत्री को लेकर शर्मिंदा क्यों हैं? देश के 100 करोड़ लोगों को इससे कोई दिक्कत नहीं है तो फिर आपको क्या परेशानी है? जज ने कहाकि आप कोर्ट का वक्त जाया कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता पीटर म्यालपरांभिल ने अक्टूबर में वैक्सीन सर्टिफिकेट पर पीएम मोदी की तस्वीर को लेकर कोर्ट का रुख किया था। पीटर ने सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर को गैरजरूरी बताया था। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील अजीत एम रॉय का कहना था कि वैक्सीन सर्टिफिकेट उनका प्राइवेट मामला है इस पर उनके कुछ अधिकार हैं।
वकील ने यह भी कहा था कि चूंकि याचिकाकर्ता ने वैक्सीन लगवाने के लिए फीस दी है, इसलिए सरकार का कोई अधिकार नहीं बनता कि वह इसपर किसी तरह से क्रेडिट ले। साथ ही उन्होंने बिना पीएम की इमेज वाले सर्टिफिकेट के विकल्प की भी मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी थी कि बहुत से अन्य देशों में वैक्सीन सर्टिफिकेट पर राष्ट्रप्रमुख की फोटो नहीं है। इसके जवाब में कहाकि हो सकता है कि उन देशों को अपने प्रधानमंत्री पर गर्व न हो, लेकिन हमें है।
जज ने कहाकि उन्हें देश ने चुना है। हमारा विचारधाराएं अलग हो सकती हैं, लेकिन इसके बावजूद वह देश के प्रधानमंत्री हैं। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहाकि प्रधानमंत्री की तस्वीर के साथ उनका संदेश लोगों में जागरूकता फैलाएगा और कोरोना से बचाव को प्रेरित करेगा।