महमूद, जिन्होंने फिल्मी कॉमेडी को असल पहचान दिलाई

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महमूद, हिंदी सिनेमा का वो कलाकार जो किसी भी सीन से पहले नहीं करता था कोई रिहर्सल.
महमूद ने बॉलीवुड के हर बड़े कलाकार के साथ काम किया, उनकी ज़बरदस्त एक्टिंग से हीरो भी टेंशन में आ जाता था.
बॉलीवुड फ़िल्मों में कॉमेडी को असल पहचान देने का श्रेय महमूद (Mehmood) को जाता है. वो महमूद ही थे जिन्होंने पहली बार फ़िल्मों में कॉमेडी का तड़का देने का काम किया था.

1950 के दशक और 60 के शरुआती दशक तक बॉलीवुड फ़िल्में बेहद गंभीर हुआ करती थीं, लेकिन बाद में महमूद ने अपनी ज़बरदस्त कॉमेडी से फ़िल्मों में जान डालने का काम किया था. महमूद बॉलीवुड में कॉमेडी के बेताज बादशाह थे.

कौन थे महमूद अली?


महमूद अली (Mehmood Ali) का जन्म 29 सितंबर 1932 को मुंबई में हुआ था. महमूद ने बाल कलाकार के तौर पर अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. जब बड़े हुए तो उस ज़माने की बेहतरीन अदाकारा मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने का काम करने लगे. बाद में उन्होने मीना कुमारी की बहन मधु से शादी कर ली. शादी करने और पिता बनने के बाद ज़्यादा पैसे कमाने के लिये उन्होने अभिनय एक्टिंग को ही अपना प्रोफेशन बनाने का फ़ैसला किया.

साल 1953 में महमूद ने ‘दो बीघा ज़मीन’ और ‘प्यासा’ जैसी बेहतरीन फ़िल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभाए. इसके बाद साल 1958 में उन्हें ‘परवरिश’ फ़िल्म में उन्होंने फ़िल्म के हीरो राजकपूर के भाई का किरदार निभाया था.

साल 1965 में ‘गुमनाम’ फ़िल्म में महमूद ने बाबर्ची का दमदार किरदार निभाकर हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई. इसके अलावा उन्होंने ‘पड़ोसन’, ‘बॉम्बे टू गोवा’, ‘प्यार किये जा’, ‘दो फूल, ‘दिल तेरा दीवाना’, ‘ससुराल’, ‘लव इन टोक्यो’, ‘जिद्दी’ और ‘अंदाज़ अपना अपना’ जैसी फ़िल्में की थी.

महमूद थे वन टेक आर्टिस्ट


महमूद इतने सक्षम कलाकार थे कि कोई भी सीन करने से पहले वो रिहर्सल भी नहीं करते थे. सीन ख़त्म होने के बाद उनके लिए तालियां बजती थीं. इसीलिए महमूद ‘वन टेक आर्टिस्ट’ के तौर पर भी जाने जाते थे. 60 और 70 के दशक की शायद ही कोई ऐसी फ़िल्म रही हो जिसमें महमूद न हों. महमूद के नाम से फ़िल्में हिट हो जाया करती थीं.

इस एक्टर की एक्टिंग से घबराते थे महमूद !


महमूद ने बॉलीवुड के हर बड़े कलाकार के साथ काम किया. फ़िल्म में वो अपनी ज़बरदस्त एक्टिंग (कॉमेडी) से हीरो भी टेंशन में आ जाता था. लेकिन एक बॉलीवुड एक्टर ऐसा भी था जिसकी एक्टिंग से महमूद भी घबरा जाते थे. महमूद सिंगर एक्टर किशोर कुमार की हरफ़नमौला अंदाज के कायल थे. वो किशोर कुमार की एक्टिंग से इतने प्रभावित थे कि उन्हें ध्यान में रखकर बतौर निर्माता ‘पड़ोसन’ और ‘साधू और शैतान’ फ़िल्मों का निर्माण कर डाला.

एक इंटरव्यू के दौरान महमूद अली से जब पूछा गया कि, क्या कोई ऐसा एक्टर है जिसकी एक्टिंग से आपको डर लगता है? इस पर महमूद ने जवाब देते हुए कहा, ‘मैं बॉलीवुड के लगभग सभी बड़े अभिनेताओं की सीमाएं जानता हूं, लेकिन ‘किशोर कुमार’ के बारे में कुछ पता ही नहीं चलता कि वो अपने किरदार के साथ कब क्या कर जाएं, एक किशोर कुमार की एक्टिंग ही है जो मुझे डराती है’.

कई फ़िल्मों का निर्माण भी किया


एक्टिंग के साथ साथ महमूद ने ख़ुद का प्रोडक्शन हाउस भी खोला था, उनके प्रोडक्शन हॉउस की पहली फ़िल्म ‘छोटे नवाब’ थी. इसके बाद उन्होंने बतौर निर्देशक सस्पेंस-कॉमेडी फ़िल्म ‘भूत बंगला’ बनाई. सन 1965 में बतौर निर्माता ‘पड़ोसन’ फ़िल्म का निर्माण किया. ये फ़िल्म ज़बरदस्त हिट साबित हुई. ‘पड़ोसन’ को आज भी हिंदी सिनेमा की श्रेष्ठ हास्य फ़िल्मों में गिना जाता है. महमूद ने 1974 में कुंवारा बाप फिल्म डायरेक्शन किया तथा उसमे अभिनय भी किया फिल्म काफी सफल भी रही उसी तरह शाहरुख ख़ान को लेकर साल 1996 में अपनी आख़िरी फ़िल्म ‘दुश्मन दुनिया का’ बनाई थी, लेकिन ये फ़िल्म फ़्लॉप साबित हुई.

साल 1998 में रिलीज़ ‘घर बाज़ार’ फ़िल्म महमूद की आख़िरी बॉलीवुड फ़िल्म थी. इसके बाद वो अमेरिका जाकर बस गए. 23 जुलाई 2004 को अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में इस दिग्गज कलाकार का निधन हो गया. महमूद के बेटे लकी अली आज बॉलीवुड के बड़े सिंगर हैं.

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