Weather Forecast Today: बिहार, तमिलनाडु, केरल और दक्षिण के कुछ राज्यों में मौसम का मिजाज बदल रहा है. जबकि उत्तर व मध्य भारत लू की चपेट में हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, अगले 24 घंटों के दौरान, राजस्थान, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के अलग-अलग हिस्सों में लू (Heat Wave) चलने की संभावना है। आईएमडी ने राजधानी दिल्ली में तेज गर्म हवाएं चलने की आशंका जताई है।
दिल्ली समेत कई इलाकों में लू की संभावना
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत कई इलाकों में आने वाले दिनों में लू का प्रकोप बढ़ने वाला है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया है कि 6 अप्रैल से तापमान में और अधिक बढ़ोतरी होने वाली है। दिल्ली में रविवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 6 डिग्री अधिक 39.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिन का न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक 19.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि सापेक्षिक आर्द्रता 69 प्रतिशत से 14 प्रतिशत के बीच रही।
आईएमडी ने कहा कि पालम मौसम केंद्र में अधिकतम तापमान 40.2 डिग्री सेल्सियस, लोधी रोड 40.6 डिग्री सेल्सियस, रिज 41.4 डिग्री सेल्सियस, आयानगर 40.6 डिग्री सेल्सियस, पीतमपुरा 41 डिग्री सेल्सियस, नजफगढ़ 41.7 डिग्री सेल्सियस और मयूर विहार में 37.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को अधिकतम तापमान 39.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
इन इलाकों में होगी बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक, झारखंड और आसपास के इलाकों में चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से बिहार के मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों में हल्की बारिश या बूंदाबांदी की संभावना है। बारिश के दौरान 15 से 20 किलोमीटर की रफ्तार से हवा चल सकती है। इसके अलावा सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है।
3 से 6 अप्रैल के बीच भी भीषण गर्मी की चेतावनी
मौसम विभाग ने दूर दराज के स्थानों पर तीन से छह अप्रैल के बीच भीषण गर्मी की चेतावनी जारी की है। आईएमडी के अनुसार भीषण गर्मी तब होती है, जब तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री ज्यादा हो जाता है। भारत में 122 वर्ष में मार्च सबसे गर्म महीना रहा, जिस दौरान देश में भीषण गर्मी पड़ी।
बारशि होने की यह है वजह
मौसम विभाग ने इस असामान्य गर्मी के लिए उत्तर भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिण भारत में किसी भी व्यापक मौसमी परिस्थितियां नहीं बनने के कारण वर्षा की कमी को जिम्मेदार ठहराया। पूरे देश में 8.9 मिलीमीटर (मिमी) वर्षा दर्ज की गई, जो कि इसकी लंबी अवधि की औसत वर्षा 30.4 मिमी से 71 प्रतिशत कम थी। वर्ष 1909 में 7.2 मिमी और 1908 में 8.7 मिमी के बाद 1901 से मार्च में तीसरी बार सबसे कम वर्षा हुई।