चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से, घोड़े पर आएंगी मां, जानें क्या होगा प्रभाव

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Chaitra Navratri : (पटना)। भारतीय जनजीवन में नवरात्रि (Navratri) का विशेष महत्व है। भागवत पुराण (Bhagwat Puran) के अनुसार साल भर में चार नवरात्रि (Four Navratras) आती है, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो सार्वजनिक रूप से मनायी जाती है। चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में विशेष महत्व है। इसे रामनवरात्रि भी कहा जाता है।

पौराणिक कथाओं (Pauranik Myths) के अनुसार सर्वप्रथम भगवान राम (God Rama) ने समुद्र तट के किनारे मां दुर्गे (Maa Durgey) की उपासना कर लंका की चढ़ायी की थी। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गे के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माता का आशीर्वाद अपने भक्तों पर सदैव बना रहता है। ब्रह्मपुराण में वर्णित एक कथा में कहा गया है कि स्वयं ब्रह्मजी ने बृहस्पति को चैत्र नवरात्रि का महत्व बताया था।

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक है। प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 2 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार से होगी, जिसके कारण माता घोड़े पर सवार होकर आयेंगी। देवी मां जब भी घोड़े पर आती हैं, तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है।

पौराणिक मान्यता है कि नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं, जहां वे नौ दिनों तक वास करते हुए अपने भक्तों की साधना से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान देती हैं। नवरात्रि पर ही विवाह को छोडक़र सभी तरह के शुभ कार्यों की शुरुआत  और खरीदारी करना बेहद ही शुभ माना जाता है।



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