Demonetisation in India: 2000 वाले नोट अब कम क्यों दिख रहे, क्या है असली वजह ?

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Demonetisation in India: क्या अपने ध्यान दिया है कि नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में जारी किए गए 2000 के नए नोट अब उतने चलन में नहीं दिख रहे। आपने ध्यान दिया होगा कि 2000 के नोट अब न तो लेनदेन में उतने प्रयोग होते दिख रहे हैं, न एटीएम (ATM withdrawl) से निकासी के दौरान ये पहले जितनी संख्या में मिल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि 2000 के नोट आखिर ‘गायब’ कहां हो गए ?

उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इनकी संख्या में 9,120 लाख यानी 27% की कमी आई है। इस तरह बाजार से 1.82 लाख रुपये के 2000 के नोट चलन से बाहर हो गए हैं। सवाल उठता है कि ये नोट आखिर गए कहां ?

वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने लोकसभा में ये जानकारी दी थी कि पिछले दो साल से 2000 रुपये के एक भी नोट की छपाई नहीं हुई है दरअसल सरकार (Modi Government) RBI के साथ बातचीत करने के बाद नोटों की छपाई को लेकर निर्णय करती है।

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अप्रैल 2019 के बाद से केंन्द्रीय बैंक ने 2000 का एक भी नोट नहीं छापा है। उसकी वार्षिक रिपोर्ट (RBI annual report) में भी इस बात का जिक्र है। तो कहां गए ये नोट?

भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में 2,000 रुपये के नोटों की संख्या, 2017-18 की तुलना में करीब एक चौथाई कम हुई है। बता दें कि नोटबंददी के बाद यह 33,630 लाख के अपने चरम पर पहुंच गई थी, जो कि मार्च 2021 में घटकर 24,510 लाख हो गई है। अगर मूल्यों में देखें तो यह उस समय करीब 6.72 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 4.90 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

प्रचलन से हटाए गए 2,000 रुपये के नोटों की संख्या 9,120 लाख है, जिनकी कुल कीमत 1.82 लाख करोड़ रुपये है। इसका मतलब है कि 2,000 रुपये के नोटों की संख्या में 27 फीसदी की गिरावट आई है।
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RBI के हिसाब से देश में नकदी का चलन बढ़ा है। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान चलन में करेंसी नोटों की संख्या में 7.2% की और नकदी के मूल्य में 16.8% की बढ़त दर्ज की गई। जबकि 2019-20 के दौरान ये क्रमश: 6.6% और 14.7% थी।

देश में 31 मार्च 2021 तक चलन में कुल करेंसी नोट में 500 और 2000 की हिस्सेदारी 85.7% रही जो 31 मार्च 2020 तक 83.4% थी। RBI की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि 500 के नोट 2000 के नोट की जगह ले रहे हैं।

सर्कुलेशन करेंसी में सबसे अधिक हिस्सेदारी 31.1% 500 के नोट की है। इसके बाद 23.6% हिस्सेदारी 10 रुपये के नोट की है। आरबीआई (Reserve Bank of India) की ताजा सालाना रिपोर्ट इन नोटों के बारे में कुछ नहीं कहती है।

जाहिर है, आरबीआई ने 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई बंद कर दी है
क्योंकि ये उच्च मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं। एटीएम में भी लोगों को पहले की तरह 2,000 रुपये के नोट नहीं मिल रहे हैं।
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आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ इस बात की प्रबल संभावना जता रहे हैं कि इन नोटों की कीमत अधिक होने के कारण काले धन के रूप में जमा किया गया हो।
नोटबंदी के समय भी काले धन का अनुमान लगभग 4-5 लाख करोड़ रुपये था, जो विशेषज्ञों का मानना था कि यह सिस्टम में वापस नहीं आएगा।

आरबीआई ने बाजार में कम मूल्य के नोटों की संख्या बढ़ा दी है। RBI की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, प्रचलन में बैंकनोटों के मूल्य और मात्रा में क्रमशः 16.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो कि 2020-21 के दौरान क्रमशः 14.7 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले 2019-20 के दौरान देखी गई।

500 रुपये और 2,000 रुपये के बैंक नोटों की हिस्सेदारी 31 मार्च, 2021 तक प्रचलन में बैंकनोटों के कुल मूल्य का 85.7 प्रतिशत थी, जबकि 31 मार्च, 2020 को यह 83.4 प्रतिशत थी। इससे यह साफ है कि 2,000 रुपये के नोट की जगह 500 रुपये के नोट ले रहे हैं। मात्रा के लिहाज से, 500 रुपये के मूल्यवर्ग में 31.1 प्रतिशत की उच्चतम हिस्सेदारी थी।

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