Navratri 2021 6th Day : इस वर्ष नवरात्र में षष्ठी तिथी का लोप हो गया है। 11 अक्टूबर सोमवार को प्रातः 6:29 तक पंचमी है।और इसी दिन 6:30 प्रातः से षष्ठी तिथी प्रारंभ हो जा रही है जो अगले दिन सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाए रही है। मंगलवार का सूर्योदय सप्तमी में होगा ।अतः माता रानी के छठे स्वरूप की अराधना भी 11 अक्टूबर सोमवार को ही प्रातः 6:30 के बाद किया जाएगा। आइए माता रानी के छठे स्वरूप की पूजा विधि ,कथा और आरती जानते हैं लब्ध प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्य डाॅ0सुभाष पाण्डेय जी से –
नवरात्रि के छठे दिन (6th day of navratra) मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा करनी चाहिए। इनकी विशेष पूजा कन्या के विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है। कहते हैं कृष्ण (Krishna) को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बृज की गोपियों (Gopis) ने माता कात्यायनी की पूजा की थी। माता कात्यायनी की पूजा से देवगुरु ब्रहस्पति (Devaguru Vrihaspati) प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छे पति का वरदान देते हैं। मां की पूजा नीचे लिखे इस मंत्र से करना चाहिए-
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी॥
कात्यायन ऋषि (Katyayan Rishi) की तपस्या से खुश होकर मां ने पुत्री के रूप में उनके घर जन्म लिया था। इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। मां का शरीर खूबसूरत आभूषणों से सुसज्जित है। उनका वर्ण सोने के समान चमकता रहता है। मां की आराधना करने से विवाह संबंधी किसी भी प्रकार के दोष हो, वे खत्म हो जाते हैं।
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मां कात्यायनी ने महिषाषुर दैत्य का संहार किया था
इसके बाद मां कात्यायनी ने महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को इसके आतंक से मुक्त कराया। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है। इनकी चार भुजाएँ हैं। मां कात्यायनी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है। है।
मां को प्रिय है लाल रंग और शहद
मां कात्यायनी को लाल रंग बेहद पसंद है। उन्हें शहद का भोग लगाया जाता है। शहद खाकर वे बहुत प्रसन्न होती है। मां का सरल मंत्र मां कात्यायनी नम: है। मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। पौराणिक मान्यता है कि गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए इनकी पूजा की थी। विवाह के बाद वैवाहिक जीवन की अच्छी शुरुआत के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा की जाती है।
देवीभाग्वत पुराण (Devi Bhagawat Puranas) के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा गृहस्थों और विवाह के इच्छुक लोगों के लिए बहुत ही फलदायी है। यदि वृषभ और तुला राशि के लोग मां कात्यायनी की आराधना करें तो संपूर्ण समस्याओं का निवारण हो जाएगा। दरअसल दोनों राशि के स्वामी शुक्र (Shukra Grah) हैं। शुक्र विवाह और प्रेम के कारक है। मां कात्यायनी की पूजा से शुक्र ग्रह की अनुकूलता भी प्राप्त होती है।
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मां के लिए जप मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इसके अलावा इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां कात्यायनी अपने भक्तों को वरदान और आशीर्वाद प्रदान करती है
मां कात्यायनी शत्रुहंता (Shatruhanta) है इसलिए इनकी पूजा करने से शत्रु पराजित होते हैं और जीवन सुखमय बनता है। जबकि मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं का विवाह होता है। भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिन्दी यानि यमुना (Yamuna) के तट पर मां कात्यायनी की ही आराधना की थी।
इसलिए मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी जानी जाती है। नवरात्रि के छठे दिन भक्त का मन आग्नेय चक्र पर केन्द्रित होना चाहिए। अगर भक्त (Bhakt) खुद को पूरी तरह से मां कात्यायनी को समर्पित कर दें, तो मां कात्यायनी उसे अपना असीम आशीर्वाद प्रदान करती है।
मां कात्यायनी के बीज मंत्र स्तुति (Beej Mantras) प्रार्थना मंत्रों का जाप करें। फिर पूजा के अंत में मां कात्यायनी से मनोवांछित फल प्राप्ति की प्रार्थना करें।इस दिन मां दुर्गा के ज्वलंत स्वरूप मां कात्यायनी की विधि विधान से आराधना की जाती है।
शेर पर सवार (Riding on Lion) चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी शक्ति, सफलता और प्रसिद्धि देने वाली हैं। शत्रुओं को पराजित करने के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। आज आपको मां कात्यायनी के नीचे दिए गए बीज मंत्र, स्तुति, प्रार्थना मंत्रों का जाप करना चाहिए। फिर पूजा के अंत में मां कात्यायनी की आरती करनी चाहिए। आपकी आराधना से प्रसन्न होकर मां कात्यायनी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी।
मां कात्यायनी की स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनी की प्रार्थना-
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
मां कात्यायनी बीज मंत्र
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम
मंत्र
1. ओम देवी कात्यायन्यै नमः॥
2. एत्तते वदनम साओमयम् लोचन त्रय भूषितम।
पातु नः सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।।
मां कात्यायनी लाभ
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
माता कात्यायनी की जय।।