Navratra : किसने किया था सबसे पहले नवरात्र का व्रत, क्या है नवरात्र का इतिहास

ताज़ा खबर राष्ट्रीय
SHARE

सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ सुभाष पाण्डेय का आलेख

Navratra 2021 : भारत वर्ष में ऋतु परिवर्तन के संधिकाल में नवरात्र पर्व (Navratri festival ) मनाया जाता है।नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत (Sanskrit) शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा (Dashahra) के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ,अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है।

नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों (Three Godess) – महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और महाकाली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिनके नाम और स्थान क्रमशः इस प्रकार है नंदा देवी योगमाया (विंध्यवासिनी शक्तिपीठ), रक्तदंतिका(सथूर),शाकम्भरी(सहारनपुर शक्तिपीठ), दुर्गा(काशी),भीमा(पिंजौर) और भ्रामरी(भ्रमराम्बा शक्तिपीठ) नवदुर्गा कहते हैं। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें : Durga Puja 2021: नवरात्र में किस दिन माता के किस रूप की होती है पूजा, क्या है हर दिन की विधि,मंत्र,आरती और प्रसाद

नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। वसंत (Spring season) की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है। त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर (Moon Callender) के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है।

यह पूजा वैदिक युग (Vedic era) से पहले, प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री (Gayatri) साधना का हैं। नवरात्रि में देवी के शक्तिपीठ और सिद्धपीठों पर भारी मेले लगते हैं । माता के सभी शक्तिपीठों का महत्व अलग-अलग हैं। लेकिन माता का स्वरूप एक ही है। कहीं पर जम्मू कटरा (Katra) के पास वैष्णो देवी (Vaishno Devi) बन जाती है। तो कहीं पर चामुंडा (Chamunda) रूप में पूजी जाती है।

बिलासपुर हिमाचल प्रदेश मे नैना देवी (Naina Devi) नाम से माता के मेले लगते हैं तो वहीं सहारनपुर में शाकुंभरी देवी के नाम से माता का भारी मेला लगता है।

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही शारदीय नवरात्रि का त्योहार (Shardiya Navratri Festival) मनाया जाता है। यह पर्व पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले किसने भगवती मां दुर्गा (Goddess Durga) की आराधना की थी। जिसके बाद से हर साल इस त्योहार को मनाया जाने लगा तो आइए जानते हैं की सर्वप्रथम किसने की मां भगवती दुर्गा की पूजा।

किसने रखा था सबसे पहले शारदीय नवरात्रि का व्रत –
पौराणिक (Pauranik) कथा के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भगवान राम (God Ram) ने कि थी। माना जाता है कि लंका में रावण (Ravana) से युद्ध से पहले भगवान राम ने शक्ति के प्रतीक मां दुर्गा की आराधना नौ दिनों तक की थी। तब ही जाकर भगवान श्री राम को लंका पर जीत हासिल हुई थी। लंका युद्ध में ब्रह्मा (Brahma) जी ने भगवान श्री राम से चंडी देवी का पूजन और व्रत कर प्रसन्न करने के लिए कहा और बताया कि चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नील कमल की व्यस्था करें।

वहीं रावण ने भी अमृत्व के लोभ में विजय हेतु चंडी पाठ प्रारंभ कर दिया। यह बात इंद्र देव (God Indra) ने पवन देव के माध्यम से श्री राम के पास पहुंचाई और परामर्श दिया की चंडी पाठ यथासंभव पूर्ण होने दिया जाए। इधर श्री राम के हवन सामग्री में और पूजा स्थल में से एक नील कमल रावण ने मायावी शक्ति से गायब कर दिया। यह देखकर भगवान श्री राम को अपना संकल्प टुटता हुआ नजर आया।

भगवान श्री राम को इस बात का भी भय था कि कहीं देवी मां उनसे रुष्ट न हो जाएं। दुर्लभ नीलकमल की व्यस्था तत्काल असंभव थी। इसके बाद भगवान श्री राम को सहज ही यह स्मरण हुआ कि लोग मुझे कमल नयन नवकंच लोचन कहते हैं तो क्यों न संकल्प मैं अपना एक नेत्र देवी मां को अर्पित कर दूं।

प्रभु श्री राम ने जैसे ही अपने तरकश में से एक तीर निकाला और अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए तब देवी मां प्रकट हुई और भगवान श्री राम का एक हाथ पकड़कर कहा कि राम मैं तुमसे अति प्रसन्न हुं और मैं तुम्हें विजय श्री का आर्शीवाद देती हुं। और रामचन्द्र जी ने रावण का वध कर लंका विभीषण को सौंप दिया।

यही कारण है कि दशहरे के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
इस तरह से भगवान श्री राम ने नवरात्रि पर नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की थी।माना जाता है कि नवरात्र व्रत और नौ दिवसीय अनुष्ठान तभी से जन जन में प्रचलित हो गया।

जहां तक नवरात्रि का सवाल है। इसे हर राज्य में अलग- अलग तरीके से मनाया जाता है। गुजरात में जहां नौ दिनों तक गरबा की धूम रहती है। वहीं पश्चिम बंगाल में चार से पांच दिनों तक दूर्गा पूजा की रौनक रहती है।

कृपया हमारे फेसबुक पेज को लाइक और फॉलो करें जिससे हर आलेख तुरंत आपतक पहुंचे।
Facebook link – https://www.facebook.com/biharikhabarlive/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *