Bihar Police: काली कमाई का धनकुबेर निकला बिहार पुलिस का ये मामूली सिपाही, प्लॉट-मॉल के अलावा ट्रक भी मिले

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Bihar Police : (पटना)। बिहार पुलिस का एक मामूली सिपाही (Constable) करोड़पति व काली कमाई का धनकुबेर निकला है। प्लॉट-मकान, मॉल के अलावा सड़कों पर उसके ट्रक भी दौड़ रहे हैं। यही नहीं बल्कि उसने अपने वेतन यानी आमदनी से 544 गुनी संपत्ति अर्जित कर ली है।

बिहार पुलिस का सिपाही (2177) नरेंद्र कुमार धीरज (Narendra Kumar Dhiraj) 9 करोड़ 47 लाख 66 हजार 745 रुपए की चल-अचल संपत्ति (property) का मालिक निकला। सरकारी आमदनी से 544% अधिक की इनकी कमाई सामने आई है। चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ, जब मंगलवार को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की टीम ने सिपाही के पटना में बेऊर थाना के तहत महावीर कॉलोनी वाले घर सहित अरवल और भोजपुर जिले के कुल 9 ठिकानों को खंगाला।

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सूत्रों के जरिए राज्य सरकार (Bihar Government) को सिपाही और बिहार पुलिस मेन्स एसोसिएशन (Bihar Policemens Association) के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कुमार धीरज के खिलाफ शिकायत मिली थी। इसके बाद सरकार ने अपने स्तर से इंटरनल जांच कराई। जब रिपोर्ट आई तो इनपुट सही मिला। इसके बाद आगे की कार्रवाई का जिम्मा EOU को सौंपा गया। इंटरनल जांच में मिले सबूतों के आधार पर सोमवार को FIR नंबर 18/21 दर्ज की गई।

इस केस में सिपाही नरेंद्र कुमार धीरज के साथ ही उनके भाई सुरेंद्र कुमार सिंह, शशिभूषण सिंह, श्याम बिहारी सिंह, वीरेंद्र सिंह, विजेंद्र कुमार विमल, अशोक कुमार और भतीजा धर्मेंद्र कुमार को भी आरोपी बनाया गया है। इनके खिलाफ कोर्ट से सर्च वारंट (Search Warrant from Court) हासिल कर ADG नैयर हसनैन खान के निर्देश पर बनाई गई 9 अलग-अलग टीमों ने छापेमारी शुरू की, जो देर शाम तक चली।

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7 भाइयों में सिपाही नरेंद्र कुमार धीरज सबसे बड़े हैं। 13 मई 1988 को इन्होंने बिहार पुलिस में बतौर सिपाही की नौकरी जॉइन की थी। उस वक्त इनकी जॉइनिंग नालंदा जिला बल में हुई थी। अब तक यह 33 साल 2 महीने की नौकरी कर चुके हैं। पुराने सिपाही होने के नाते उनका वेतन (salary) करीब 70 हजार रुपए होगा। मूल रूप से भोजपुर जिले के सहरा थाना के तहत मुजफ्फरपुर गांव के रहने वाले हैं।

किसान परिवार (Farmers family) से आने वाले इस सिपाही के पास 3 से 4 बीघा पुश्तैनी जमीन ही थी। जब नौकरी में आए थे तो सारे भाई भी इन पर ही आश्रित थे। संयुक्त परिवार में इनके अलावा कोई भी दूसरा शख्स सरकारी नौकरी में नहीं है। इसके बाद भी छापेमारी में करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति मिली।

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पटना (Patna) के जिस घर में नरेंद्र कुमार धीरज अपने परिवार के साथ रहते हैं, वो दो मंजिला है। भाई विजेंद्र कुमार विमल के नाम आरा के अनाइठ जगदेव नगर (Jagdev Nagar) इलाके में 4 आवासीय जमीन, उदवंत नगर में कृषि की जमीन, भाई सुरेंद्र सिंह के नाम पर 10 जगहों पर आवासीय, व्यावसायिक और खेती वाली कीमती जमीन मिली है। भाई वीरेंद्र सिंह के नाम पर नाढ़ी में 50 डिसमिल खेती वाली जमीन मिली है।

भाई अशोक कुमार के नाम आरा (Ara) में 4 अलग-अलग जगहों पर आवासीय और खेती वाली जमीन है। भाई श्याम बिहारी सिंह के नाम पर आरा के गोढ़ना में एक आवासीय जमीन मिली है। भाई शशि भूषण सिंह के नाम पर नाढ़ी में 64.50 डिसमिल जमीन (Land property) का एक प्लॉट मिला है।

जबकि, भतीजा धर्मेंद्र कुमार के नाम पर जगदीश पुर के सेवथा में खेती वाली 51 डिसमिल जमीन मिली है। जमीन के अलावा इन्होंने कई गाड़ियां खरीद रखी हैं। इसमें कई ट्रक (Trucks) शामिल हैं। इसके अलावा अलग-अलग बीमा कंपनियों में भी इनका इंवेस्टमेंट मिला है। कई बैंक अकाउंट्स के डिटेल्स मिले हैं, जिन्हें खंगाला जा रहा है।

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बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन राज्य पुलिस के सिपाही-हवलदार (Constables and Hawaldar) का प्रतिनिधित्व करता है। राज्य स्तर पर पदधारकों के अलावा सभी जिला और इकाईयों में भी इसका संगठन कार्यरत है। प्रत्येक तीन वर्ष पर इसका चुनाव होता है जिसमें अध्यक्ष, महामंत्री के अलावा विभिन्न पदों के लिए चुनाव होता है। यह काफी पुराना संगठन है।

ईओयू को शिकायत मिली थी नरेन्द्र कुमार धीरज द्वारा पद का दुरुपयोग कर स्वयं व परिजनों के नाम करोड़ों की संपत्ति अर्जित की गई है। इसका सत्यापन करने के बाद सभी सात भाइयों और भतीजा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनिमय के तहत मामला दर्ज किया गया। मंगलवार को पटना के महावीर कॉलोनी, सहार के मुजफ्फरपुर स्थित पैतृक आवास, भाई अशोक के अरवल स्थित मकान (अरोमा होटल के सामने), भाई सुरेन्द्र सिंह के आरा के भेलाई रोड, कृष्णानगर स्थित चार मंजिला और पांच मंजिला मकान, भाई विजेन्द्र कुमार विमल के आरा के कृष्णानगर स्थित पांच मंजिला मकान, भाई श्याम बिहार सिंह भोजपुर स्थित नारायणपुर के मॉल सह आवासीय मकान व छड़-सीमेंट की दुकान पर छापेमारी की गई।

साथ ही उसके भतीजा के आरा के अनाईठ स्थित आशुतोष ट्रेडर्स नामक दुकान में छापेमारी की गई। ईओयू ने धीरज के साथ इन सभी को प्राथमिकी में नामजद किया है।

ईओयू के मुताबिक नरेन्द्र कुमार धीरज की सिपाही के पद पर नियुक्ति 13 मई 1988 को नालंदा जिला बल में हुई। नौकरी करते हुए कुल 33 वर्ष 2 माह हुए हैं। पैतृक घर भोजपुर के सहार थाना का मुजफ्फरपुर है। ये कुल सात भाई हैं। ईओयू के अनुसार धीरज सामान्य कृषक परिवार से आते हैं और सेवा में आने के पहले इनके पास करीब 3-4 बीघा पुश्तैनी जमीन होने की सूचना है।

सेवा प्रारंभ होने के समय सभी भाई इनके ऊपर आश्रित थे। संयुक्त परिवार में धीरज के अलावा कोई अन्य लोक सेवक या सरकारी सेवा में नहीं हैं।