विदेश में हुआ हिंदुत्व को लेकर एक वर्चुअल सम्मेलन जो हुआ विवादों के बीच समाप्त..

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सेन्ट्रल डेस्क। सोशल मीडिया पर समर्थन और विरोध में चले अभियानों के बीच ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ नाम से हुई इस वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में हिंदुत्व को नफ़रत से प्रेरित विचारधारा बताया गया और इस पर सवाल खड़े किए गए।

सम्मेलन के आयोजकों का कहना है कि इसका विरोध करने वालों ने उनकी आवाज़ को दबाने और पैनल में शामिल अकादमिक जगत के लोगों को डराने की कोशिश की.

वहीं इसका विरोध करने वाले लोगों और समूहों का कहना है कि ये सम्मेलन राजनीति से प्रेरित था और इसका मक़सद वैश्विक स्तर पर भारत और हिंदू धर्म की छवि ख़राब करना था.

क्या थी डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व काँन्फ्रेस

10-12 सितंबर के बीच ऑनलाइन हुए इस सम्मेलन को अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के 53 विश्वविद्यालयों के 70 से अधिक केंद्रों, इंस्टीट्यूट्स, कार्यक्रमों और अकादमिक विभागों का समर्थन प्राप्त था.

इसे अमेरिका की हार्वर्ड, स्टेनफर्ड, प्रिंस्टन, कोलंबिया, बर्कले, यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो, द यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेन्सिलवीनिया और रटजर्स जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों का सहयोग और समर्थन प्राप्त था.

आयोजकों का दावा है कि इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए दस हज़ार से अधिक लोगों ने पंजीकरण किया और साढ़े सात हज़ार से अधिक लोग इसके साथ जुड़े।

आयोजकों का कहना है कि ये अमेरिका में विभिन्न अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सटियों के सहयोग से हिंदुत्व के मुद्दे पर हुआ अपनी तरह का पहला सम्मेलन है जिसमें बड़ी तादाद में अकादमिक और शिक्षा जगत के शोधार्थी और शिक्षाविद शामिल हुए. तीन दिन के इस सम्मेलन में कुल नौ सत्र हुए जिनमें 30 से अधिक वक्ताओं ने अपने विचार रखे.