Afganistan News: बाइडेन की सफाई- हमने अफगानिस्तान में अरबों डॉलर खर्च किए, वहां की सेना को प्रशिक्षित किया,अफगान लीडरशिप ने बिना लड़े मानी हार

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बिहारी खबर। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है। देश में अफरा-तफरी का माहौल है। राष्ट्रपति अशरफ गनी और उप-राष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह देश छोड़कर भाग चुके हैं। तालिबान का हर जगह कब्जा हो गया है और राष्ट्रपति भवन पर भी तालिबानी लड़ाके तैनात हैं। बैंकों के आगे लंबी कतारें हैं। एयरपोर्ट के रनवे पर हजारों लोग इस उम्मीद में इधर-उधर भाग रहे हैं कि शायद किसी फ्लाइट में जगह मिल जाए और वे देश छोड़ दें।

इन सबके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के फैसले का बचाव किया है। बाइडेन ने अफगान नेताओं और वहां की सेना को ही दोषी बताया है। अफगानिस्तान संकट पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने संबोधन में कहा, “मेरी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम और मैंने अफगानिस्तान के हालात को करीब से देखा है। इसके मद्देजनर हमने अपनी योजना को अमलीजामा पहनाते हुए कदम उठाए हैं।बाइडेन का यह संबोधन भारतीय समय के अनुसार सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात करीब 1.30 बजे हुआ।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा- अफगानिस्तान में हालात अचानक बदल गए। इसका असर दूसरे देशों पर भी पड़ा है। लेकिन, आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
बाइडेन ने कहा- हमारे पास दो विकल्प थे। पहला- हम तालिबान से हुआ समझौता लागू करते और फोर्स वापस बुलाते। दूसरा- कई हजार सैनिक और वहां भेजते और जंग चलती रहती। अफगानिस्तान के नेताओं ने हथियार डाल दिए और देश से भाग गए। 20 साल की ट्रेनिंग के बाद भी वहां की फौज ने सरेंडर कर दिया।

बाइडेन ने कहा, “जब मैंने सत्ता संभाली तो उससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प तालिबान से बातचीत कर रहे थे। 1 मई के बाद हमारे पास ज्यादा विकल्प नहीं थे। या तो हम वहीं रहते और तालिबान से लड़ते या फिर अमेरिकी सैनिकों को वापस लाते। मैं अपने प्लान पर कायम रहा।

मैं मानता हूं कि तालिबान बहुत जल्द काबिज हो गए। अफगान लीडरशिप ने बहुत जल्द हथियार डाल दिए। हमने वहां अरबों डॉलर खर्च किए। अफगान फोर्स को ट्रेंड किया। इतनी बड़ी फौज और हथियारों से लैस लोगों ने हार कैसे मान ली। यह सोचना होगा। यह गंभीर मुद्दा है।” बाइडेन ने कहा।

बाइडेन ने बिना नाम लिए पूर्ववर्ती सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “मैं वो गलतियां नहीं कर सकता था जो पहले के लोगों ने कीं। इसलिए अपने प्लान पर जमा रहा। अफगान लोगों को अपना भविष्य तय करने का अधिकार है। वहां की फौज हमारे कई नाटो सहयोगियों से ज्यादा है। उनके पास हथियार भी थे। फिर ये क्यों हुआ? तालिबान तो संख्या में भी कम थे।
उन्होंने कहा- हमारे सैनिकों ने बहुत त्याग किए हैं। अफगानिस्तान में भरोसे का संकट है। हम कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका का हर नागरिक वहां से सुरक्षित लौटे। लोग हम पर सवाल उठा रह हैं। उन्हें अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाले उनके राष्ट्रपति अशरफ गनी से भी सवाल करने चाहिए। हमारी सेना और जोखिम नहीं उठा सकती थी। उम्मीद है कि वहां हालात फिर बेहतर होंगे।

उधर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जानकारी दी कि भारतीय नागरिकों के अफगानिस्तान से भारत लौटने व अन्य मामलों के लिए एक विशेष अफगानिस्तान सेल का गठन किया है।

इससे पहले अफगानिस्तान में हालात को लेकर बुलाई गई यूएनएससी की आपात बैठक में संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि गेंग शुआंग ने कहा कि पिछले 20 साल से इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन अफगानिस्तान में जमा होते रहे हैं और बढ़ते रहे हैं। इसने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न किया है।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को कभी भी अतंकियों का स्वर्ग नहीं बनने देना चाहिए। शुआंग ने कहा कि अफगानिस्तान में भविष्य के सभी राजनीतिक समाधानों में ध्यान में रखना होगा। हम उम्मीद करते गैं कि तालिबानी अफगानिस्तान अपनी प्रतिबद्धता बरकरार रखेगा और आतंकी संगठनों पर रोक लगाएगा।

उधर सभी सैन्य और नागरिक उड़ानें काबुल हवाई अड्डे पर रुकी हुई हैं। समाचार एजेंसी एएनआई ने एएफपी और पेंटागन के हवाले से यह खबर दी है

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इस बीच तालिबान के प्रवक्ता का कहना है कि चरमपंथी संगठन भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है। प्रवक्ता ने कहा कि देश में जितने भी राजनयिक हैं, किसी को भी अफगानिस्तान छोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत पाक मसलों में तालिबान कोई दखल नहीं देगा।

इस बीच समाचार एजेंसी एएनआई ने पेंटागन के हवाले से खबर दी है कि काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों ने दो हथियारबंद व्यक्तियों को मार गिराया है।

वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अपील किया है कि अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना होगा कि अफगानिस्तान को दोबारा कभी आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह या मंच के तौर पर इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने हिंसा पर पूरी तरह से रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि मैं सभी पक्षों को अफगानिस्तान के नागरिकों की रक्षा के लिए उनके दायित्वों की याद दिलाता हूं।