लोकसभा में पास हुआ ओबीसी आरक्षण बिल, पक्ष में 368 तो विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा,कई सांसदों ने उठाई आरक्षण की सीमा बढाने की मांग

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नई दिल्ली। संविधान में 127वें संशोधन के लिए लाया गया विधेयक लोकसभा में पास हो गया है।लोकसभा ने इस विधेयक को 386 मतों से पारित किया है, वहीं इसके खिलाफ कोई मत नहीं पड़ा।लोकसभा में इस बिल के पास हो जाने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल के पास हो जाने से अब राज्यों को ओबीसी में नई जातियों को शामिल करने का अधिकार मिल जाएगा।

कई सांसदों ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग उठाई

इस बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस समेत कई दलों ने केंद्र सरकार से जाति आधारित जनगणना कराए जाने की भी मांग की है। इसके अलावा आरक्षण की सीमा को भी 50 फीसदी से ज्यादा किए जाने की मांग की है।

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने यह मांग की है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह समय की मांग है कि जाति आधारित जनगणना कराई जाए। यदि ऐसा आप नहीं कराते हैं तो फिर यूपी में समाजवादी सरकार बनाने के बाद हम ऐसा करेंगे।

जेडीयू ने भी उठाई जातिगत जनगणना की मांग

यही नहीं बीजेपी को केंद्र और बिहार में समर्थन दे रही जेडीयू ने भी जातिवार जनगणना की मांग की है। संसद में जेडीयू के सांसद राजीव रंजन सिंह ने यह मांग दोहराई। इससे पहले जेडीयू के मुखिया और बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी कई बार ऐसी मांग कर चुके हैं।

संविधान के 127वें संशोधन का क्या होगा असर
बता दें कि संसद के दोनों सदनों में संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन पर अगर मुहर लग जाती है तो राज्यों के पास ओबीसी सूची में अपनी मर्जी से जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार होगा।

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल होने का मौका मिल सकता है। लंबे समय से ये जातियां आरक्षण की मांग कर रही हैं। इनमें से मराठा समुदाय को महाराष्ट्र देवेंद्र फडणवीस सरकार ने आरक्षण दिया भी था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को दिए फैसले में इसे खारिज कर दिया था।