जूते सिल परिवार का पेट पाल रहा है केंद्रीय खेलमंत्री के गृह जिले का नेशनल हॉकी खिलाड़ी

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सेंट्रल डेस्क। हॉकी को देश का राष्ट्रीय खेल कहा जाता है। अभी ओलंपिक में हमारे देश की महिला और पुरुष हॉकी टीमें दमदार प्रदर्शन कर रहीं हैं, जिसपर हम खुश हो रहे हैं लेकिन क्या कोई सोच सकता है कि हॉकी के खिलाड़ियों के क्या हालत हैं। क्या यह कल्पना की जा सकती है कि राष्ट्रीय खेल कहे जाने वाले हॉकी का नेशनल लेबल का कोई खिलाड़ी अपना और परिवार का पेट पालने के लिए जूते सिलने पर मजबूर हो सकता है। वह भी उस जिले का खिलाड़ी, जिस जिले से खुद केंद्रीय खेल मंत्री आते हों। लेकिन यह कोई कोरी कल्पना नहीं, बल्कि एक तल्ख हकीकत है।

हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के हमीर पुर के रहने वाले सुभाष चन्द्र की, जो एक- दो बार नहीं, बल्कि आठ बार हॉकी की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी रहे सुभाष लंबे समय तक राष्ट्रीय स्तर पर हाकी खेल चुके हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हालांकि, अब वे जिले के मुख्य बाजार में जूतों की एक मामूली सी दुकान चला कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। अपनी तंगहाली से जूझ रहे सुभाष इतना निराश हो चुके है कि उन्होनें स्वयं तो हाकी खेलना छोड ही दिया, अपने बच्चों को भी इससे बहुत दूर कर रखा है।

स्थानीय मीडिया के साथ एक बातचीत में सुभाष ने कहा, “उनका तो समय किसी तरह निकल गया है लेकिन अनुराग ठाकुर के खेल मंत्री बनने के बाद उनकी उम्मीद कुछ जगी है कि शायद सरकार उनके बेटों के लिए कुछ करे।”

खास बात तो यह है कि सुभाष की इस मुफलिसी को दूर करने ओर उनके योगदान के लिए उन्हें पुरस्कृत करने तथा उन्हें उचित सरकारी नौकरी देने के लिए जिले के कई सामाजिक संगठन लगातार मांग उठाते रहे हेैं लेकिन नतीजा अबतक सिफर ही रहा है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने अपनी इस मांग से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अवगत कराया है लेकिन अबतक उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो सकी है।

वैसे स्थानीय सांसद अनुराग ठाकुर के खेल मंत्री बनाये जाने के बाद क्षेत्र के सामाजिक संगठनों की उम्मीद जगी है, वहीं स्वयं सुभाष भी इस बात से काफी आशान्वित नजर आ रहे हैं कि शायद सरकार अब उनकी सहायता करे। काश! सुभाष की आशा फलवती हो जाती।