विश्लेषण: बीजेपी के साथ सरकार चला रहे नीतीश कुमार जातीय जनगणना के मुद्दे पर मोदी सरकार के निर्णय का क्यों कर रहे विरोध?

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राहुल भारद्वाज का विश्लेषण

पटना। देश में जातीय जनगणना कराए जाने के पक्ष-विपक्ष में बहस चल रही है। बिहार के सियासी दल, खासकर विपक्षी पार्टी राजद यह मांग लगातार उठा रहा है कि जातीय जनगणना में ओबीसी यानि अन्य पिछड़ा वर्ग को भी शामिल किया जाय। लेकिन आज शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना में ओबीसी वर्ग को भी शामिल करने की मांग कर चौंका दिया, चूंकि केंद्र और राज्य दोनों जगह उनकी पार्टी जेडीयू बीजेपी का सहयोगी दल है और केंद्र की तरफ से साफ कर दिया गया है कि जातीय जनगणना में सिर्फ एससी-एसटी वर्ग को शामिल किया जाएगा।

ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि केंद्र की नीति के उलट नीतीश कुमार ने ओबीसी वर्ग को भी जातीय जनगणना में शामिल किए जाने की मांग कर केंद्र के विरोध में स्वर क्यों उठा रहे हैं। नीतीश ने ट्वीट कर कहा “हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. बिहार विधान मंडल ने दिनांक 18 फरवरी 2019 और पुनः बिहार विधान सभा ने दिनांक 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था. इसे केंद्र सरकार को भेजा गया था। केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए।”

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दरअसल, सभी दलों की नजर बिहार में ओबीसी वर्ग के बड़े वोटबैंक पर टिकी हुई हैं। जेडीयू हो या राजद, ये दल ओबीसी वर्ग को अपना समर्थक मानते हैं। जेडीयू जहां ओबीसी वर्ग के लवकुश समीकरण यानि कुर्मी- कोइरी वर्ग के वोट पर अपनी दावेदारी जताता रहा है, वहीं राजद के एमवाई समीकरण का एक हिस्सा ओबीसी वर्ग का यादव ही है।

बता दें कि बिहार से सांसद और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि संविधान के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा में जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं। महाराष्ट्र और ओडिशा की सरकारों ने आगामी जनगणना में जातीय विवरण एकत्रित करने का अनुरोध किया है। भारत सरकार ने नीतिगत मामले के रूप में फैसला किया है कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं होगी।

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उधर इस मामले को लेकर बिहार में नेता प्रतिपक्ष राजद के तेजस्वी यादव पहले ही केंद्र सरकार पर हमला बोल चुके हैं। उन्होंने कहा था कि बिहार के दोनों सदनों में बीजेपी जातीय जनगणना का समर्थन करती है, लेकिन संसद में बिहार के ही कठपुतली मात्र पिछड़े वर्ग के राज्य मंत्री से जातीय जनगणना नहीं कराने का एलान करवाती है। यहां उनका इशारा नित्यानंद राय की तरफ था। तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी को पिछड़े/अतिपिछड़े वर्गों से इतनी नफरत क्यों है?