छपरा। भोजपुरी पुनर्जागरण के प्रतीक व भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जानेवाले लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के 50 वीं स्मृति दिवस के मौके पर शहर के भिखारी ठाकुर चौक पर स्थापित उनके आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर विभिन्न सामाजिक व गैर सामाजिक संगठन के लोगों ने जनकवि को श्रद्धा-सुमन अर्पित किया। संयुक्त नाई एकता महासंघ एवं जननायक कर्पूरी सेना के संयुक्त तत्वावधान में भोजपुरी के शेक्सपियर नाम से प्रसिद्ध भिखारी ठाकुर को उनके पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें याद किया गया। इस मौके पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि भिखारी ठाकुर भोजपुरी क्षेत्र के एक ऐसे नायक थे जिन्होंने भोजपुरी लोकगीतों व नाटकों के माध्यम से वंचित, पीड़ित व शोषित समाज की पीड़ा को जन जन तक पहुंचाने का काम किया।
लोक कलाकार के बारे में बताते हुए वक्ताओं ने कहा कि 18 दिसम्बर 1887 को सारण जिले के छपरा सदर प्रखंड के कुतुबपुर दियारे में एक साधारण नाई परिवार में जन्म लेने वाले भिखारी ठाकुर ने अपने नाटकों, गीतों एवं नाच के माध्यम से समाज में फैली विकृतियों अन्धविश्वास के खिलाफ जो जंग छेड़ा था उसकी प्रासंगिकता आज भी बरकरार है।
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उन्होंने भोजपुरी क्षेत्र में प्रचलित बेमेल विवाह ,नशापान स्त्रियों की दुर्दशा सामंती जोर-जुल्म के खिलाफ अपने नाटको के माध्यम से जो जागरूकता फैलाईं उससे भोजपुरी क्षेत्र का कायाकल्प हो गया। 10 जुलाई 1971 को 84 वर्ष की आयु में उस महान कलाकार ने जब दुनिया से विदा लिया तो उन्होंने 20 करोड़ भोजपुरिया समाज के तन-मन मे रच बस गया। भिखारी ठाकुर के स्मृति दिवस पर संगठन के नेताओं ने सरकार से माँग किया कि सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक कारणों से नाई समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा मिलना चाहिए।
वहीं केश कला बोर्ड की स्थापना तथा प्रदेश में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बिहारी छात्रों हेतु 80 प्रतिशत सीट आरक्षित करने की माँग की गई। वहीं भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने हेतु इसे संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु केंद्र सरकार से माँग की गई।मौके पर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भिखारी ठाकुर नाट्य मंडली के कलाकार रामचंद्र माँझी, जैनेंद्र दोस्त, जदयू विधानसभा प्रभारी डॉ इन्द्रकांत विश्वकर्मा, डॉ सुनील प्रसाद, मनोज ठाकुर, डॉ सुभाष ठाकुर, सुनील ठाकुर, शुशील ठाकुर, हर्षवर्धन, रामबाबू शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।