छह महीने के भीतर खोया था पिता और भाई, जानिए भारत के नए तेज गेंदबाज आकाशदीप के संघर्षों की दास्तां

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Who is Akashdeep : भारतीय टेस्ट टीम में चुने गए बिहार के आकाशदीप ने पिता और भाई को 6 महीने के भीतर खो दिया था। शुरुआत में वह टेनिस बॉल क्रिकेट खेल कर पैसे कमाते थे। एक दौर था जब पिता उन्हें चपरासी की नौकरी करने के लिए फॉर्म भरकर भेजते थे। भारतीय क्रिकेट टीम में इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी 3 मैचों के लिए तेज गेंदबाज आकाश दीप को शामिल किया गया।

वे पहली बार टेस्ट के लिए चुने गए हैं। बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने वाले आकाश दीप भारत की वनडे और टी-20 टीम में चुने जा चुके हैं, लेकिन अभी तक डेब्यू नहीं कर पाए हैं। उन्होंने हालिया समय में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कमाल का खेल दिखाया। लेकिन आकाश दीप का क्रिकेट में आना ही बहुत मुश्किल काम था।

लंबी मशक्कत और कई तरह की तकलीफ के बाद वे पहचान बना सके। आकाश दीप बिहार के सासाराम के रहने वाले हैं। जब वे करियर शुरू कर रहे थे तब बिहार क्रिकेट सस्पेंड था और वहां खेलों के लिए कोई माहौल भी नहीं था। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, बिहार में तब भारतीय क्रिकेट बोर्ड से निलंबित होने के कारण क्रिकेट के लिए कोई उचित मंच नहीं था।

सासाराम में जहां का मैं रहने वाला हूं, वहां क्रिकेट खेलना अपराध माना जाता था। कितने ही माता-पिता अपने बच्चों से कहते थे कि आकाश से दूर रहो। वह पढ़ाई नहीं करता और उसकी संगत में रहकर बिगड़ जाओगे। लेकिन मैं उन्हें दोष नहीं देता। हमारी जैसी जगह पर क्रिकेट खेलकर आप क्या हासिल करेंगे?

आप समय खराब करेंगे और क्रिकेटर भी नहीं बन पाएंगे। इससे पढ़ाई भी बिगड़ जाएगी। भविष्य खराब हो जाएगा। उन्हें इसकी चिंता रहती थी। मेरे माता-पिता भी ऐसे ही थे। आकाश के पिता उन्हें सरकारी नौकरी के लिए परीक्षाओं में भाग लेने के लिए कहते थे।

उन्होंने कहा, मेरे पिताजी मुझे बिहार पुलिस कांस्टेबल या राज्य सरकार में फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी की परीक्षा देने के लिए कहते थे। वह उन सरकारी नौकरी के आवेदन पत्र भरते थे और मैं परीक्षा देने जाता था। खाली फॉर्म जमा करके वापस आ जाता था। लेकिन आकाश के लिए अचानक से सब कुछ बदल गया। 6 महीने के अंदर उन्होंने पिता और बड़े भाई को खो दिया, जिससे सारे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। उन्होंने कहा, मेरे पापा और भैया का 6 महीने में देहांत हो गया।

मेरे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं था। यही प्रेरणा थी कि मुझे कुछ करना है क्योंकि परिवार की जिम्मेदारी लेनी है। एक दोस्त की मदद से उन्हें पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक क्लब की तरफ से खेलने का मौका मिला लेकिन उनकी कमाई टेनिस बॉल क्रिकेट खेलने से होती थी। आकाशदीप ने कहा, मैं अपने क्लब की तरफ से लेदर बॉल की क्रिकेट खेलता था लेकिन शुरू में उससे कमाई नहीं होती थी।

उन्होंने कहा कि इसलिए मैं महीने के तीन या चार दिन टेनिस बॉल क्रिकेट खेलता था। जिससे मुझे प्रतिदिन 6 हजार रुपए मिल जाते थे। इस तरह से महीने में मैं 20 हजार रुपए कमा लेता था। देखते देखते आकाशदीप बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश में टेनिस क्रिकेट से गेंदबाजी के बड़े नाम के तौर पर उभर गए। वह बल्लेबाजी में भी अच्छे हाथ दिखाते थे।

इसके बावजूद आकाशदीप को पता था कि उनका असली मकसद लेदर क्रिकेट है। वह किसी भी कीमत पर भारतीय टीम में जगह बनाना चाहते थे। निरंतर मेहनत के बाद जब आकाश को बंगाल अंडर 23 टीम में चुना गया, तब तक उनका कोई कोच नहीं था। वह खुद की तैयारी से ही वहां तक पहुंचे थे। अब भारतीय टीम में सिलेक्शन होने पर वे कहते हैं कि उन्हें जगह मिलने की उम्मीद थी लेकिन यह नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी बुलावा आ जाएगा। उनके नाम 29 फर्स्ट क्लास मैचों में 103 विकेट हैं। हाल ही में इंग्लैंड लॉयंस के खिलाफ दो मैच में उन्होंने 11 शिकार किए थे।