First Cricket World Cup 1975 : जून, 1975 में इंग्लैंड में होने वाले पहले विश्व कप के लिए (First Cricket World Cup 1975) स्पिनर वेंकट राघवन (Indian Captain for first Worldcup) को भारत का कप्तान बनाया गया था. इंग्लैंड रवाना होने से पहले मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम (Wankhede stadium) में पाँच दिन के लिए भारतीय टीम की नेट प्रैक्टिस रखी गई थी.
नेट प्रैक्टिस (Net practice) में भाग लेने के लिए सिर्फ़ छह खिलाड़ी मौजूद थे क्योंकि पाँच खिलाड़ी पहले ही इंग्लैंड (County Cricket in England) में थे. टीम के रवाना होने से पहले सैयद किरमानी और मोहिंदर अमरनाथ ने वानखेड़े स्टेडियम में अपनी हाज़िरी लगाई थी.
इस चीज की व्यवस्था की गई थी कि सभी खिलाड़ी स्टेडियम में ही रहें लेकिन स्थानीय खिलाड़ियों सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) और एकनाथ सोल्कर को भारतीय मैनेजर रामचंद ने रात को अपने घर जाने की अनुमति दे दी थी.
जब क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष अचानक पहुंच गए स्टेडियम
एक सुबह वानखेड़े स्टेडियम में क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष पीएम रूंगटा अचानक पहुँच गए. जब वो खिलाड़ियों के साथ नाश्ता कर रहे थे तभी सुनील गावस्कर अपने घर से वहाँ पहुंचे.
क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष रूंगटा ने गावस्कर को देखते ही सवाल दागा, “क्या तुम रोज़ स्टेडियम में ही रुक रहे हो या अपने घर जा रहे हो?”
गावस्कर के जबाब से नाराज हुए रुंगटा
अपनी आत्मकथा ‘सनी डेज़’ में सुनील गावस्कर लिखते हैं, “मैंने उन्हें बताया कि मैं रात में अपने घर चला जाता हूँ. इस पर वो नाराज़ हो कर बोले, क्या तुम्हें मालूम है कि सभी खिलाड़ियों की वानखेड़े स्टेडियम में रहने की व्यवस्था क्यों की गई है ताकि खिलाड़ियों के बीच टीम भावना पैदा हो सके.”
“तुम्हें भी यहाँ रहना चाहिए. तुम टीम के उप-कप्तान हो. तुम्हें टीम के सामने उदाहरण पेश करना चाहिए. मैंने सफ़ाई दी कि मैंने घर जाने के लिए मैनेजर की अनुमति ले ली थी.”
जब एकनाथ सोलकर ने बोला झूठ
बोर्ड अध्यक्ष रूंगटा ने एकनाथ सोलकर से भी वही सवाल पूछा जो उन्होंने सुनील गावस्कर से पूछा था. उन्होंने सोलकर से सवाल दागा, “क्या तुम भी रात को घर चले जाते हो?”
गावस्कर लिखते हैं, “सोलकर ने इस सवाल के जवाब में कहा कि वो स्टेडियम में ही रुक रहे हैं. ये साफ़ झूठ था. हर एक को पता था कि सोलकर रोज़ रात को अपने घर चला जाता था.”
“मुझे समझ में नहीं आया कि मैनेजर रामचंद ने जो वहाँ मौजूद थे हमें रात को घर जाने की अनुमति देने की बात क्यों नहीं स्वीकार की?”
अपनी आत्मकथा में गावस्कर ने लिखा है, “मुझे इस बात से भी धक्का लगा कि सोलकर के स्तर के क्रिकेट खिलाड़ी को क्रिकेट प्रशासक के सामने झूठ बोलने की ज़रूरत क्यों पड़ रही है?”
कौन थे एकनाथ सोल्कर
1970 के दशक में भारतीय टीम के लिये खेलने वाला यह खिलाड़ी अक्सर शॉर्ट लेग पर फील्डिंग के लिये खड़ा होता था. एकनाथ सोलकर इस पोजिशन पर इतने चुस्त और मजबूत थे कि बल्लेबाज इनकी फील्डिंग से खौफ खाते थे. बाद के दौर में जोंटी रोड्स, युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ और रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों को बेस्ट फील्डर के रूप में जाना जाता है लेकिन यह एकनाथ सोलकर ही थे जिन्होंने फील्डिंग को नई बुलंदियों तक पहुंचाने का काम किया.
इस आलराउंडर के पिता थे ग्राउंड्स मैन
एकनाथ सोल्कर भारतीय टीम के ऑलराउंडर खिलाड़ी थे. उनका जन्म 18 मार्च, 1948 को एक ग्राउंडसमैन एकनाथ ढोंढू सोलकर के घर में हुआ था. एकनाथ सोलकर ने जब क्रिकेट के मैदान पर कदम रखा तो उस वक्त या तो बल्लेबाज या फिर गेंदबाज को ही इज्जत दी जाती थी, इस मामले में फील्डर्स को तवज्जो नहीं दी जाती थी. हालांकि उन्होंने इस सोच को बदला और अपनी चुस्त फील्डिंग के जरिये भारतीय क्रिकेट टीम के लोकप्रिय सदस्य बने.
Disclaimer : यह स्टोरी सुनील गावस्कर की आत्मकथा ‘सनी डेज’, तत्कालीन प्रेस रिपोर्ट्स और अन्य स्रोतों में उपलब्ध सामग्रियों से प्राप्त की गई है. किसी को किसी तरह की आपत्ति हो तो हम उसे जरूर प्रकाशित करेंगे.