पटना। रामविलास पासवान द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी में चल रहा विवाद और गहराता जा रहा है। एक तरफ चिराग पासवान ने खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष मानते हुए जहां अपने चाचा और विरोधी गुट के नेता चुने गए पशुपति पारस सहित बागी पांचों सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है तो दूसरी तरफ बागी गुट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को नया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर दिया है। इस बीच आज का दिन पार्टी के भविष्य को लेकर काफी अहम माना जा रहा है, चूंकि आज पारस गुट ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुला ली है।
बताया गया है कि लोक जनशक्ति पार्टी में चल रही भारी उठापटक के बीच आज पारस गुट की तरफ से बुलाई गई राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हाल ही में पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के आवास पर होनेवाली है। इस बैठक में पारस गुट द्वारा नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कर लिया जाएगा। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि संसदीय दल के नेता बनाए गए पशुपति पारस ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाए जाते हैं, या कार्यकारी अध्यक्ष सूरजभान सिंह या फिर कोई और राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है।
उधर इस बैठक के लिए पशुपति पारस, सूरजभान सिंह सहित बागी खेमे के तमाम बड़े नेता कल बुधवार को ही पटना पहुंच चुके हैं। पटना पहुंचने पर हवाई अड्डे से लेकर पार्टी कार्यालय तक बड़ी संख्या में मौजूद समर्थकों ने ढोल-बाजे आदि के साथ इन नेताओं का जोरदार स्वागत किया था। एक तरह से इस पूरे एपिसोड को पारस गुट के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर माना गया था।
हालांकि चिराग पासवान दावा कर रहे हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वे खुद हैं। बहैसियत राष्ट्रीय अध्यक्ष वे पारस गुट में शामिल पांचों सांसदों को पार्टी से निष्कासित किए जाने का पत्र भी जारी कर चुके हैं। चिराग पासवान ने पारस गुट की तरफ से बुलाई गई कार्यसमिति की बैठक को भी असंवैधानिक करार दिया है। रिपोर्ट के अनुसार चिराग पासवान ने कहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी के संविधान के मद्देनजर कार्यसमिति की बैठक बुलाने का अधिकार केवल और केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को है, जो वे खुद हैं।
चिराग पासवान ने कहा है कि पार्टी संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष दो ही परिस्थितियों में हट सकते हैं। पहला जब वह खुद इस्तीफा दे दें या फिर जब उनका निधन हो जाए। कार्यसमिति को यह अधिकार ही नहीं है कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपदस्थ कर दे। ना ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के अलावा किसी को कार्यसमिति बुलाने का अधिकार है।
उधर पार्टी के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान दलित सेना के जिलाध्यक्षों को भी बुलाया गया है। पारस खेमे का दावा है कि रामविलास पासवान ने जब एलजेपी का गठन किया था तो उस समय 25 संस्थापक सदस्य थे। वे सभी राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य शुरू से रहे हैं। इनमें से 6 लोगों का निधन हो चुका है और बाकी के 19 लोग बैठक में मौजूद रहेंगे।