यूपी में अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी ब्राह्मण चेहरे पर लगाएगी दांव? रेस में ये नाम आगे, कई अन्य पदों पर भी है वैकेंसी

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Uttarpradesh News : (लखनऊ)। उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में कई ऐसे नेताओं को जगह मिली है, जो अब तक संगठन में शामिल थे। इसके बाद अब उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठन में कई पदों पर चेहरे बदले जाने की तैयारी है। भाजपा एक व्यक्ति एक पद की नीति पर काम करते हुए उन नेताओं को संगठन से हटाने जा रही है, जिन्हें मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा उन लोगों को यहां फिट किया जाएगा, जो सीनियर नेता हैं और कहीं जगह नहीं बना सके हैं। इसके अलावा योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे उन नेताओं को भी जगह दी जाएगी, जो कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन सके हैं। 

यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को ही जलशक्ति मंत्री बना दिया गया है। उनके स्थान पर किसी ब्राह्मण नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं चल रही हैं। इस रेस में कुल 4 नाम चल रहे हैं, जिनमें श्रीकांत शर्मा, डिप्टी सीएम रहे दिनेश शर्मा, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम और कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक का नाम चल रहा है। य़े चारों ही नेता ब्राह्मण बिरादरी से आते हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि एक महीने के अंदर प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान किया जाएगा। दरअसल इसी साल के अंत में राज्य में निकाय चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में भाजपा संगठन के पेच कस लेना चाहती है। 

प्रदेश अध्यक्ष के अलावा कई और वैकेंसी भाजपा संगठन में हैं। दरअसल प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह और अरविंद कुमार शर्मा भी अब मंत्री बन गए हैं। इसके अलावा महामंत्री जेपीएस राठौर को भी योगी के मंत्री परिषद में जगह मिल गई है। भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप भी कैबिनेट में जगह पा गए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही इन पदों को भी जल्दी ही भरा जाएगा। इसके अलावा भाजपा की एक तैयारी यह भी है कि कैबिनेट का अगले 6 महीनों में विस्तार किया जाए। 

पार्टी के एक नेता का कहना है, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वी उत्तर प्रदेश से आते हैं और क्षत्रिय हैं। इसके अलावा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी चेहरा और सेंट्रल यूपी से आते हैं। एक और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक अवध के हैं और ब्राह्मण हैं। ऐसे में पार्टी पश्चिम यूपी के किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। खासतौर पर ब्रज या फिर पश्चिम क्षेत्र के नेता को जिम्मेदारी दी जा सकती है ताकि क्षेत्रीय संतुलन बना रहे।’ हालांकि कुछ नेताओं का कहना है कि अभी कुछ भी तय नहीं है।