झंझारपुर(मधुबनी) में महिला से जबरदस्ती का प्रयास करना एक युवक को काफी भारी पड़ गया है। अब उसे छह माह तक गांव की सभी महिलाओं के कपड़े मुफ्त में धोकर व इस्त्री कर देने पड़ेंगे। ऐसा नहीं करने पर उसकी जमानत रद कर दी जाएगी और उसे फिर से जेल जाना होगा। युवक की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार प्रथम ने इसी शर्त पर युवक की जमानत अर्जी मंजूर की है। युवक दुष्कर्म के प्रयास मामले में 19 अप्रैल से जेल में बंद था।
लौकहा स्टेशन के पास रहने वाली एक महिला ने मझौरा गांव निवासी 20 वर्षीय युवक ललन साफी पर घर में घुसकर उसके साथ जबरदस्ती करने के प्रयास का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपित युवक को 19 अप्रैल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इधर, उसकी जमानत अर्जी जब एडीजे कोर्ट में पहुंची तो मंगलवार को दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद युवक की उम्र और पूर्व के बेदाग आपराधिक इतिहास को देखते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया।
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनका मुवक्किल केवल बीस साल का है। इस मामले में पुलिस की जांच पूरी हो चुकी है। चार्जशीट जमा किया जा चुका है। साथ ही दोनों पक्षों के बीच समझौते की याचिका भी लगाई गई है। बहस में आरोपी के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल धोबी है और अपने पेशे के माध्यम से समाज की सेवा करता है।
जमानत के लिए एडीजे कोर्ट ने 10-10 हजार के दो मुचलकों के साथ ही वादिनी सहित पूरे गांव की महिलाओं के छह माह तक मुफ्त कपड़े साफ कर उनपर इस्त्री कर देने की शर्त रखी है। कहा गया कि कोर्ट के आदेश की जानकारी स्थानीय मुखिया एवं सरपंच को भी दी जाएगी, ताकि जमानत की शर्त का आरोपित ठीक से पालन कर रहा है या नहीं, इसकी जानकारी कोर्ट को मिल सके। छह महीने के बाद उसे मुखिया,सरपंच या किसी सरकारी अधिकारी से शर्त पालन करने का प्रमाण पत्र भी कोर्ट में सौंपने का आदेश दिया गया है।
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बता दें कि झंझारपुर एडीजे अविनाश कुमार प्रथम लगातार अपने अनोखे फैसलों के कारण चर्चा में बने हुए हैं। उन्होंने एक युवक को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह बाढ़ पीड़ितों को मुफ्त में दाल बांटेगा। उसी तरह एक को मंदिर में बनने वाले मंदिर में श्रमदान करने की शर्त पर जमानत दी थी।