चुनावी हार के बाद मायावती का बड़ा एक्शन, BSP की सभी कमेटियां भंग, आजमगढ़ के प्रत्याशी बढाएंगे सपा की टेंशन !

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Uttarpradesh News : (लखनऊ)। बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को हुई बैठक के बाद सेक्टर प्रभारी व भाईचारा कमेटी व्यवस्था को खत्म कर दिया है। अब प्रत्येक तीन मंडल पर एक ज़ोन होगा। नई व्यवस्था में प्रदेश के 3 नए प्रभारी बनाए गए हैं यह जिम्मेदारी मुनकाद अली,राजकुमार गौतम और डॉक्टर विजय प्रताप को सौंपी गई है। प्रदेश प्रभारी मायावती को सीधे रिपोर्ट करेंगे।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को पार्टी कार्यालय में प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाई थी। इसमें विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार की समीक्षा की गई। बैठक में प्रदेश के सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के साथ सेक्टर प्रभारी ,जिला अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष के साथ भाईचारा कमेटी के सदस्यों को बुलाया गया था। मायावती ने बैठक में विचार विमर्श के बाद सेक्टर प्रभारी और भाईचारा कमेटी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।

शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली की बसपा में आज वापसी हो गई है। मायावती ने उनकी वापसी की जानकारी पार्टी पदाधिकारियों को दी। वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में गुड्डू जमाली आजमगढ़ से चुनाव लड़ेंगे।

कौन हैं गुड्डू जमाली

गुड्डू जमाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को छोड़कर बसपा में शामिल हुए हैं। शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने ओवैसी की पार्टी से ही आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह AIMIM के अकेले ऐसे प्रत्याशी थे, जो अपनी जमानत बचा सके। दरअसल असदुद्दीन ओवैसी ने कुल 100 सीटों पर उम्मीदवासर उतारे थे, लेकिन एक ही सीट पर जमानत बच पाई। इससे साफ है कि गुड्डू जमाली का अपना भी कुछ जनाधार है और यही वजह है कि बसपा ने उन्हें कैंडिडेट बनाया है। गुड्डू जमाली को कुल 36,419 वोट हासिल हुए हैं। मुबारकपुर सीट से सपा को जीत हासिल हुई है, जबकि बीएसपी दूसरे स्थान पर थी और भाजपा को तीसरे नंबर पर ही संतोष करना पड़ा।

समाजवादी पार्टी की बढ़ सकती है टेंशन

आजमगढ़ लोकसभा सीट से अखिलेश यादव ने इस्तीफा दे दिया है और करहल का विधायक ही बने रहने का फैसला लिया है। अखिलेश यादव की रणनीति लखनऊ में ज्यादा एक्टिव दिखने की है ताकि योगी सरकार को घेरा जा सके। गुड्डू जमाली को उम्मीदवार घोषित करने से आजमगढ़ के उपचुनाव में सपा को झटका लग सकता है, जिसे आम तौर पर मुस्लिमों के वोट मिलते रहे हैं। आजमगढ़ सीट मुस्लिम और यादव बहुल है, जिसे समाजवादी पार्टी के लिए जिताऊ समीकरण समझा जाता रहा है। ऐसे में बीएसपी का यह ऐलान सपा की चिंताओं को बढ़ाने वाला है।



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