पटना। तो अब यह साफ हो गया है कि पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश साहनी (Minister Mukesh Sahni) इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने गेंद को सीएम नीतीश कुमार के पाले में डालते हुए खुद ही कह दिया कि यह उनके ऊपर है कि मंत्रिमंडल में रखें या हटाएं। जिस प्रकार से बुधवार रात को वीआईपी पार्टी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए उसके बाद यह प्रश्न उठने लगा कि क्या मुकेश सहनी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे। दूसरी ओर बीजेपी वाले नैतिकता के आधार पर मुकेश सहनी का इस्तीफा मांग रहे हैं।
मुकेश साहनी के इस बयान से एक बात तो साफ हो गया है कि वे लड़ाई से पीछे हटने के मूड में नहीं है। साथ ही वे इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि बीजेपी के दबाव में अगर उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया जाता है तो वे अपने समर्थकों के बीच खुद को शहीद के तौर पर प्रस्तुत करें। चूंकि वे खुद को शुरुआती दौर से ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहते रहे हैं और निषाद समाज के प्रतिनिधित्व का दावा करते हैं। निषाद समाज के लिए आरक्षण की मांग भी उठाते हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि ऐसे में बीजेपी भी ‘वेट ऐंड वाच’ की थ्योरी पर अमल कर सकती है।
राजनीतिक पंडित यह कयास भी लगा रहे हैं कि अगर मुकेश साहनी को मंत्रिमंडल से नहीं हटाया जाता है तो बीजेपी मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की भी मांग कर सकती है। अगर ऐसी स्थिति बनी तो मुकेश साहनी के साथ ही सभी मंत्रियों का इस्तीफा लिया जा सकता है और फिर से नए मंत्रियों के नाम का एलान हो सकता है, जिसमें शायद मुकेश साहनी का नाम नहीं हो।
बीजेपी ने बिहार में बड़ा उलटफेर किया है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इससे जहां सहनी को जोर का झटका लगा है वहीं उनके मंत्री पद पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अब उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। इसी बीच सहनी ने उन विधायकों को शुभकामनाएं दी हैं जो अब बीजेपी के पाले में चले गए हैं।
वीआईपी चीफ सहनी ने कहा, मेरी शुभकामनाएं उन तीन विधायकों के साथ हैं जो कल तक हमारे साथ थे और अब दूसरी पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए हैं। हमारे तीन विधायकों ने मिलकर उनके आंकड़े को 77 कर दिया है। वे बिहार की नंबर 1 पार्टी बन गए हैं, मैं उन्हें बधाई देता हूं।