Chara Ghotala : (पटना)। देश के बहुचर्चित चारा घोटाले की शुरआती कहानी बहुत कम लोगों को पता है। पशुपालन घोटाला के नाम से भी चर्चित इस घोटाले का शुरुआती पर्दाफाश आज से लगभग 26 वर्ष पूर्व तत्कालीन अविभाजित बिहार (वर्तमान बिहार और झारखंड) के एक युवा आईएएस अधिकारी अमित खरे ने किया था। अमित खरे उस दौर में चाईबासा जिले के डीसी थे।
खरे ने इस घोटाले के संबंध में अपनी यादों और विचारों को लेख के जरिये शेयर किया है। इस लेख को एक समाचार एजेंसी ने प्रसारित किया है। एजेंसी से लेख का संक्षिप्त अंश यहां लिया गया है। पूरी बातें अमित खरे की जुबानी रखी गई है :-
27 जनवरी, 1996 को चाईबासा ट्रेजरी विभाग, पशुपालन विभाग का कार्यालय और जानवरों के फार्म्स में रेड किया। मैंने विभाग के सभी बिल को जांचना शुरू किया। मैं चौंक गया सभी बिल में एक ही राशि थी, वह थी 9.9 लाख की। बिल एक ही सप्लायर की थी। पहली नजर में मुझे गड़बड़ी का अंदेशा हो गया था।
उसी वक्त मैंने जिला पशुपालन पदाधिकारी और विभाग से जुड़े कर्मियों को उनका पक्ष जानने के लिए बुलाया। मुझे कहा गया कि पशुपालन विभाग के सभी कर्मी कार्यालय छोड़ कर भाग गये हैं। तब मैंने तय किया कि मैं खुद अपने दंडाधिकारियों के साथ उनके कार्यालय में जाऊंगा और जांच करूंगा। मैं पशुपालन विभाग का कार्यालय पहुंचा। मैंने जो वहां देखा उससे मैं हतप्रभ था।