जांच को प्रभावित करने के लिए SC ST ऐक्ट के तहत प्राचार्य ने दर्ज कराई है FIR : कुलसचिव

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University News : (छपरा)। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव तथा वित्तीय परामर्शी के विरुद्ध एक महाविद्यालय के प्राचार्य (Principal) की ओर से एससी-एसटी ऐक्ट (SC ST act) के तहत दर्ज कराए गए केस पर विश्वविद्यालय प्रशासन (JP University administration) ने अपना पक्ष रखा है। कुलसचिव (Registrar) डॉ रवि प्रकाश “बबलू” ने कहा कि विश्वविद्यालय पर दबाव बनाने व उनके विरुद्ध चल रही जांच प्रभावित करने के उद्देश्य से जगलाल चौधरी महाविद्यालय (Jaglal Chaudhary College) के तत्कालीन प्राचार्य डॉ रामानंद राम द्वारा एससी एसटी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जगलाल चौधरी कॉलेज के प्राचार्य फिलहाल विश्वविद्यालय द्वारा निलंबित किए जा चुके हैं और आगे की जांच चल रही है। वहीं प्राचार्य डॉ रामानन्द राम ने कहा है कि कुलपति को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और वे कुलसचिव के दबाव में गलत फैसले कर रहे हैं।

जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ रवि प्रकाश बबलू ने अपने कार्यालय प्रकोष्ठ में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से प्राचार्य के खिलाफ वहां प्राप्त शिकायतों की जांच कर विधिसम्मत कार्रवाई करने का निर्देश प्राप्त हुआ था। इसके अलावा जगलाल कॉलेज के सभी टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ (Teaching and non teaching staff) ने भी  प्राचार्य के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। टीचिंग व नॉन टीचिंग कर्मचारियों ने अपने आरोपों से संबंधित एक एफिडेविट के साथ शिकायत पत्र विश्वविद्यालय में दिया था।

उन्होंने कहा कि साथ ही प्राचार्य द्वारा एक महिला टीचर के भुगतान के लिए अपने अधीनस्थ किरानी के खाते में अवैध रूप से पैसा मंगाया गया था, जिसका भी साक्ष्य मौजूद है। इसके बाद कुलपति द्वारा एक तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया। जांच टीम द्वारा की गई जांच के आधार पर विश्वविद्यालय में रिपोर्ट दी गई। इस रिपोर्ट के आधार पर प्राचार्य को निलंबित करते हुए उनका मुख्यालय जगदम कॉलेज बनाया गया।

कुलसचिव ने कहा कि इसके बाद प्राचार्य द्वारा आधे-अधूरे व तथ्यों को छुपाते हुए माननीय न्यायालय के माध्यम से जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव एवं वित्त परामर्शी के विरुद्ध केस दायर किया गया और तीनों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

कुलसचिव ने बताया कि प्राचार्य को निलंबित किए जाने के बाद उनके द्वारा इसके पूर्व कुलपति को एक मेल भेज कुलसचिव के विरुद्ध केस दर्ज कराए जाने की अनुमति मांगी गई जो अबतक प्राप्त भी नहीं की गई। फिर भगवान बाजार के एससी एसटी थाने में कुलपति डॉ फारुख अली, कुलसचिव डॉ रवि प्रकाश “बबलू” और वित्तीय परामर्शी के विरुद्ध एक आवेदन केस दर्ज करने के लिए दिया गया।

उन्होंने कहा कि यह तथ्य अपने आप में आश्चर्यजनक है कि कुलपति से पहले सिर्फ कुलसचिव के विरुद्ध केस करने की अनुमति मांगी गई फिर थाने को दिए गए आवेदन में खुद कुलपति समेत यूनिवर्सिटी के तीन अधिकारियों को आरोपित बनाने की कोशिश की गई। कुलसचिव ने कहा कि इस केस की स्टेशन डायरी भगवान बाजार थाने में मौजूद है। केस के आईओ द्वारा इस आवेदन में उल्लिखित तथ्यों की जांच की गई।

श्री बबलू ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से आए निर्देश और अन्य साक्ष्यों के आलोक में चल रही जांच को प्रभावित करने के उद्देश्य से यह मनगढ़ंत आरोप लगाया गया है लेकिन मुझे न्याय पर पूरा विश्वास है। उन्होंने कहा कि प्राचार्य पूर्व में भी लोगों को एससी-एसटी ऐक्ट में फंसाने की धमकी देने के आदी रहे हैं।

उधर इस संबन्ध में प्राचार्य डॉ रामानन्द राम ने कहा कि पूरा मामला अतिथि शिक्षकों के भुगतान से जुड़ा हुआ है। कॉलेज के कई अतिथि शिक्षक बिना अवकाश लिए महीनों से कॉलेज नहीं आ रहे थे। उनकी उपस्थिति शून्य करके भेजी गई थी लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा निहित स्वार्थवश उनका पूरा मानदेय भुगतान कर दिया गया। उन्होंने कहा कि नीतिगत निर्णय पर रोक होने के बावजूद कुलपति द्वारा कुलसचिव के दबाव में गलत निर्णय लिए जा रहे हैं।

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