University News: बिहार के कुछ विश्वविद्यालयों में हाल में आर्थिक गड़बड़ियों और घोटाले के मामले सामने आने के बाद अब शिक्षा विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है। राज्य के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि विश्वविद्यालयों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पायी गयी, तो अधिकारियों पर काररवाई होगी।
शिक्षा मंत्री श्री चौधरी मंगलवार, 14 दिसंबर 2021 को विश्वविद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन की नयी व्यवस्था को लेकर कुलसचिवों, वित्तीय परामर्शियों एवं वित्त पदाधिकारियों की कार्यशाला का उद्घाटन कर रहे थे। सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये कार्यशाला में थे। कार्यशाला का आयोजन शिक्षा विभाग ने मंगलवार को डॉ. मदन मोहन झा स्मृति सभागार में किया था।
कई विश्वविद्यालयों में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हाल की घटनाओं की ओर संकेत करते हुए शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने हिदायत भरे शब्दों में कहा कि कुलसचिव, वित्तीय परामर्शी, वित्त पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारी मुस्तैदी से निभायें।
उन्होंने कहा कि हर चीज को सरकार गंभीरता से देख रही है। वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता नहीं होने से गड़बड़ी होती है। कई सवाल उठ खड़े होते हैं। कई कांड सामने आते हैं, जो वित्तीय घोटाले से जुड़े होते हैं। हाल की कुछ घटनाएं इसका ताजा उदाहरण हैं।
शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि किसी भी संस्थान के सशक्त संचालन में वित्तीय प्रबंधन और लेखा संधारण की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे विकास कार्यों को सुव्यवस्थित करने में सुविधा होती है। उन्होंने कुलसचिवों, वित्तीय परामर्शियों एवं वित्त पदाधिकारियों से पूछा कि अपने पद की विष्टिïताओं के अनुरूप उसके दायित्वों के निवर्हण में अभिरूचि क्यों नहीं लेते हैं?
उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात के 30 प्रतिशत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सीट बढ़ोतरी का प्रस्ताव क्यों नहीं उपलब्ध करा रहे हैं? मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना एवं मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना से जुड़ी 50 फीसदी आवेदन विश्वविद्यालयों के स्तर पर लंबित क्यों हैं? जनता दरबार में 72 से 75 प्रतिशत मामले विश्वविद्यालयों के होते हैं।
लंबित आवेदनों एवं मामलों को अविलंब निबटाने, राज्य सरकार द्वारा हर साल दी जाने वाली पांच हजार करोड़ रुपये की सदुपयोगिता हर हाल में सुनिश्चित करने एवं उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने के लिए दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने का निर्देश देते हुए शिक्षा मंत्री चौधरी ने कहा है कि जनवरी के दूसरे हफ्ते में विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव, वित्तीय परामर्शी एवं वित्त पदाधिकारी की बैठक बुलाने जा रहे हैं, जिसमें विश्वविद्यालयों से मांगी गयी सूचनाओं की विश्वविद्यालयवार समीक्षा होगी।
प्रारंभ में शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ ने कुलसचिवों, वित्तीय परामर्शियों एवं वित्त पदाधिकारियों से कहा कि राज्य सरकार हर साल विश्वविद्यालयों को स्थापना मद में चार हजार करोड़ एवं विभिन्न योजना मदों में एक हजार करोड़ रुपये देती है। ऐसे में विश्वविद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन बेहद जरूरी है। बजटिंग, एकाउंटिंग और ऑडिटिंग के बिना विश्वविद्यालयों को राशि नहीं मिलेगी।
उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा कुमारी ने उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा के उपनिदेशक अजीत कुमार एवं डॉ. दीपक कुमार सिंह सहित सभी संबंधित अधिकारी थे। कार्यशाला के दूसरे सत्र में उपनिदेशक अजीत कुमार द्वारा विश्वविद्यालयों के बजट के संबंध में कंडिकावार तथ्य रखा गया। महालेखाकार कार्यालय के मो. हक एवं बी. एन. झा, वित्त विभाग के संयुक्त आयुक्त कामेश्वर ओझा एवं अपर सचिव ओमप्रकाश झा मौजूद थे।