Bihar News: बिहार के सभी सरकारी कार्यालयों के संविदा कर्मचारियों का हो नियमितीकरण, कांग्रेस ने उठाई मांग

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Bihar News: बिहार के सरकारी कार्यालयों में संविदा व तदर्थ कर्मियों की संख्या काफी ज्यादा है। फिलहाल हालत यह है कि समाहरणालय, प्रखंड कार्यालय, अस्पताल, विश्वविद्यालय, कॉलेज, नगर निगम, पंचायतों आदि सभी प्रमुख कार्यालयों और केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं को लागू करने का कार्यभार सरकारी कार्यालयों में मुख्य रूप से संविदा व तदर्थ कर्मचारियों के जिम्मे है।

हालांकि, उनकी नौकरी तलवार की धार पर टिकी रहती है। चूंकि वे संविदा पर कार्यरत होते हैं, लिहाजा उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह न तो उतना वेतन मिल पाता है, न ही उनकी सेवाशर्त ऐसी होती है जिससे उनको अपना भविष्य सुरक्षित लग सके। इससे एक तो वे आर्थिक संकटों से घिरे रहते हैं दूसरी ओर मानसिक तनाव और दबाव में भी रहते हैं।

सरकारी कार्यालयों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर अब कांग्रेस पार्टी मुखर हुई है। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि बिहार देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां ग्राम पंचायतों से लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय तक राज्य का ज्यादातर काम संविदाकर्मी करते हैं। राज्य में संविदा कर्मियों की क्या हालत है यह देखने वाला कोई नहीं है।

उन्होंने कहा कि संविदा कर्मियों का जीवन फाइलों के जाल में उलझ कर रह गया है और उनके आश्रितों का जीवन अभाव के जंजाल में उलझा पड़ा है। बेहद मामूली रकम पर काम करने वाले यह संविदाकर्मी नहीं जानते कि कब तक इन्हें काम मिलता रहेगा और किस दिन इन्हें काम से हटा दिया जाएगा।

असित नाथ तिवारी ने कहा, “ना तो वेतन और भत्ते की सुविधा और ना ही भविष्य की कोई गारंटी। ये वो लोग हैं जिनके भरोसे सरकार चल रही है, जिनके कंधों पर तमाम योजनाओं का बोझ लदा पड़ा है और जिनके सिर पर आम आदमी का ढेर सारा काम है।”

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पहले नौकरियों के तमाम अवसर छीन कर पढ़े-लिखे लोगों के सामने मजबूर हालात पैदा किए गए और अब उनकी मजबूरी का फायदा उठा कर सरकार उनका शोषण कर रही है।

उन्होंने राज्य के सरकारी कार्यालयों में काम कर रहे सभी संविदा कर्मचारियों को स्थायी किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्पष्ट मांग है कि राज्य के सभी किस्म के संविदा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाए और कम से कम इतना वेतन दिया जाए कि वह अपने साथ परिवार के चार सदस्यों का पेट भी भर सकें।