हजारों सालों से पृथ्वी पर नजर जमाए बैठे हैं एलियंस,हमारे रेडियो शो भी सुन रहे परग्रही!

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सेंट्रल डेस्क। एलियंस यानि परग्रही, यूएफओ आदि के बारे में जानना और पढ़ना दिलचस्प होता है। धरती पर वर्षों से यह बहस चल रही है कि एलियंस होते भी हैं या नहीं। कई मौकों पर लोगों ने दावे किए कि उनकी एलियंस के साथ मुलाकात भी हो चुकी है, हालांकि ऐसे तथ्य अभी सौ फीसदी प्रमाणित नहीं हो सके हैं। फिर भी एलियंस के अस्तित्‍व पर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी रहती है। एलियंस को लेकर लगातार शोध भी चलते रहते हैं।

इसी कड़ी में अमेरिका में बहुत जल्‍द एक शोध रिपोर्ट भी आने वाली है। ताजा शोध में दावा किया गया है कि एलियंस धरती पर पिछले करीब 5 हजार साल से नजरें गड़ाए हो सकते हैं। यही नहीं ये परग्रही हमारे पुराने रेडियो शो को सुन सकते हैं। वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में ऐसे कम से कम 29 संभावित जगहों की पहचान की है जहां से एलियंस टेलिस्‍कोप की मदद से हमारे ऊपर नजर रख सकते हैं।

इस शोध में शोधकर्ताओं ने हमारी आकाश गंगा के सोलर सिस्‍टम का एक नक्‍शा बनाया है जहां एलियंस हो सकते हैं। इन 29 संभावित जगहों से टेलिस्‍कोप की मदद से धरती पर नजर रखी जा सकती है, ठीक वैसे ही जैसे हम धरती से दूसरे ग्रहों को देख पाते हैं।

शोध से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती से करीब 326 प्रकाशवर्ष की परिधि में 2034 सितारे हैं और इनमें से कुछ सितारों तक हमारे रेडियो सिग्‍नल पहुंच रहे होंगे। इन सितारों में से कुछ पहले हमें देखते रहे होंगे लेकिन अब उनकी यह प्रक्रिया रुक गई होगी। इनमें से एक प्रणाली हो सकती है जो 45 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है और यहां धरती की तरह से पहाड़ी और पानी से भरे 7 ग्रह हो सकते हैं। इन ग्रहों में से 4 पर रहा जा सकता है। वे अब ऐसी जगह पर पहुंचेंगे जहां से वे 1642 साल तक हमें देख सकेंगे।

इस शोध को करने वाले कॉर्नेल यूनिवर्सिटी न्‍यूयॉर्क के प्रफेसर लीजा काल्‍टेनेगर ने कहा, ‘उनके नजर‍िए से देखें तो हम एलियन हैं। हम जानना चाहते थे कि कौन सा तारा पृथ्‍वी को देखने के मामले में सबसे सुविधाजनक स्थिति में है क्‍योंकि यह सूरज की किरणों को रोकती है।’

प्रोफेसर लीजा ने कहा, ‘हमारे गतिशील ब्रह्मांड में चूंकि तारे घूमते रहते हैं, ऐसे में यह सुविधाजनक स्थिति बदलती रहती है। ऐसे सितारे जो सुविधाजनक स्थिति में हैं, उनके ऊपर जीवन की तलाश की जा सकती है। यह शोध यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी के गैआ सैटलाइट से मिले आंकड़े पर आधारित है।’

उन्होंने कहा कि इसी सैटलाइट ने हमारी आकाश गंगा का नक्‍शा बनाया है, जिसने एक शताब्‍दी पहले अंतरिक्ष में प्रसारण शुरू किया था।