Health News : बिहार में नवजात मृत्युदर 2.5 फीसदी, 2030 तक आधा करने का लक्ष्य

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Health News : बिहार (Bihar news) में नवजात मृत्य दर (Infant death ratio) 2.5 फीसदी है, जिसे कम करने की कोशिश की जा रही है।इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना जरूरी है।इसी कड़ी में अन्य कार्यों के अलावा आगामी 15 से 21 नवंबर तक नवजात शिशु सप्ताह मनाया जायेगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति (Bihar State Health Samiti) के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है।

बता दें कि प्रति वर्ष 15 से 21 नवंबर को राष्ट्रीय नवजात सप्ताह मनाया जाता है। एसआरएस 2018 के अनुसार राज्य का नवजात मृत्यु दर 25/1000 जीवित जन्म है। एसडीजी (SDG) का लक्ष्य 2030 तक नवजात मृत्यु दर 12/1000 जीवित जन्म तथा नेशनल हेल्थ पॉलिसी (National Health Policy) का लक्ष्य 2025 तक नवजात मृत्यु दर 16 / 1000 जीवित जन्म है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु बिहार सरकार सतत प्रयासरत है।

इस वर्ष भी नेशनल न्यू बोर्न वीक का आयोजन किया जाना है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस वर्ष का थीम “सेफ्टी, क्वालिटी एंड न्यूट्रिंग केयर बर्थ राइट ऑफ एवरी न्यू बोर्न” रखा गया है। राष्ट्रीय नवजात सप्ताह की गतिविधियों के दौरान कोविड अनुरूप नियमों का पालन भी सुनिश्चित किया जायेगा।

ई-लंचिंग के माध्यम से होगा शुभारंभ:
राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का शुभारंभ 15 नंबवर को ई-लंचिंग के माध्यम से किया जायेगा। जिलास्तर पर जिलाधिकारी या सिविल सर्जन के द्वारा शुभारंभ किया जायेगा। घर पर कंगारू मदर केयर जारी रखने और विशेष रूप से स्तनपान कराने पर एनबीएसयू/एसएनसीयू से छुट्टी दे दिए गए नवजात शिशुओं के परिवारों, देखभाल करने वालों का परामर्श चिकित्सा डॉक्टरों द्वारा पहचाने गए उच्च जोखिम वाले गर्भधारण की निगरानी की व्यवस्था की जायेगी।
स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए जागरूक करेंगी आशा:
राष्ट्रीय नवजात सप्ताह के दौरान आशा द्वारा सभी निर्धारित एचबीएनसी गृह भ्रमण की गुणवत्ता में सुधार के लिए आशा फैसिलिटेटर, एएनएमएस, सीएचओ या किसी अन्य ब्लॉक स्तर के अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा।

प्रत्येक गृह भ्रमण में स्तनपान को बढ़ावा देना सुनिश्चित करें, नवजात शिशु का वजन करें, तापमान मापें, गर्मी सुनिश्चित करें, स्तनपान की समस्या के मामले में निदान और सलाह दें, हाथ धोने को बढ़ावा दें, त्वचा, नाल और आंखों की देखभाल करें और पहचान और तत्काल रेफरल सुनिश्चित करें।
कमजोर नवजात शिशुओं की तैयार होगा लाइन-लिस्टिंग:
आशा और एएनएमएस द्वारा उच्च जोखिम वाले गर्भधारण और नवजात शिशु की सूची उप-केन्द्र स्तर पर अनुरक्षित की जायेगी। आशा द्वारा पालन किए जाने वाले और आशा द्वारा पर्यवेक्षण किए जाने वाले नवजात शिशुओं की सूची तैयार की जायेगी।

इन बिन्दुओं पर होगा विशेष जोर:

  1. • जन्म के समय कम वजन या बीमार नवजात एसएनसीयू/एनबीएसयू डिस्चार्ज किए गए बच्चे
  2. • घर पर नवजात की डिलीवरी
  3. • दुर्गम क्षेत्रों, दूर-दराज के गांवों में परिवार
  4. • हाशिये पर रहने वाले वर्ग, प्रवासी, निराश्रित, मजदूर, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, विकलांग, असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्रों के श्रमिक आदि। घर जहां आशा मिलती है
  5. • रेफरल के बारे में परिवारों को परामर्श देना मुश्किल है
  6. • देखभाल की मांग या स्वस्थ प्रथाओं को अपनाने के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं
  7. • ऐसे परिवार जहां बालिकाओं को पर्याप्त ध्यान और देखभाल नहीं दी जाती है

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