Poisonous liquor kand : बिहार में पिछले दो दिनों में दो जिलों के जहरीली शराब कांड (spurious liquor kand) में संदिग्ध मौतों का आंकड़ा 26 तक पहुंच गया है। अभी कुछ अन्य लोगों के बीमार होने की भी खबर है, जिनका जहां-तहां इलाज चल रहा है। बुधवार, 3 नवंबर 2021 से अब तक पिछले दो दिनों में 26 लोगों की संदिग्ध मौत कथित तौर पर जहरीली शराब के चलते हुई है।
बीते दो दिनों में गोपालगंज (Gopalganj news) में 17 और बेतिया (Bettiah news) में 9 लोगों की जान जहरीली शराब पीने के चलते गई है। बात अगर इस पूरे साल में जहरीली शराब के कारण हुई मौतों की करें तो यह आंकड़ा 70 तक पहुंच चुका है।
राज्य के पश्चिम चंपारण (West champaran news) के बेतिया जिले में कुछ महीने पहले ही जहरीली शराब का एक कांड हुआ था।
उसी जिले में फिर एक बड़ा कांड हो गया है। बेतिया के नौतन प्रखंड (Nautan Block area) के दक्षिण तेलवा पंचायत (South Texas Panchayat) में एक ही गांव के 16 लोगों की मौत से कोहराम मचा है।
एक साथ इतनी मौतों के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है।
शोक के कारण गांववालों ने दीवाली नहीं मनाई। बेतिया मेडिकल कॉलेज (Bettiah Medical College and Hospital) में अभी भी इलाज के लिए चार लोग भर्ती हैं।
वहीं, खबर है कि मोतिहारी (Motihari News) और गोपालगंज में भी कुछ लोग चोरी-छिपे इलाज करवा रहे हैं। पुलिस आस-पास के गांवों में छापेमारी कर रही है। अब तक दो महिलाओं को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
यहां आईजी के अलावा डीएम-एसएसपी सहित सभी वरीय अधिकारी गांव में जमे हुए हैं। बता दें कि कुछ महीने पहले भी बेतिया में जहरीली शराब से 12 लोगों की मौत हो गई थी।
उधर गोपालगंज जहरीली शराबकांड मामले में वहां के एसपी ने कार्रवाई करते हुए एक थानेदार और एक चौकीदार को सस्पेंड कर दिया है। राजनीतिक दलों का एक दूसरे के विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
वहीं विपक्ष अब आक्रामक होकर सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की शराबबंदी (Sharabbandi in Bihar) नीति और उसके क्रियान्वयन पर तीखे सवाल कर रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा देने की मांग कर दी है।
हालांकि, प्रशासन मौत के कारणों की पुष्टि नहीं कर रहा है। गोपालगंज के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि जबतक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आ जाती तबतक पुष्टि नहीं की जा सकती। फिलहाल तीन टीमें मामले की जांच कर रही हैं। पुलिस ने घटना के सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल जनवरी से लेकर 31 अक्टूबर तक शराब पीने से नवादा, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्परपुर, सीवान और रोहतास जिलों के करीब 70 लोगों की मौत हो गई है। कई लोगों की आंखों की रोशनी तक चली गई है।
बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है।
नीतीश सरकार ने 5 अप्रैल, 2016 को बिहार में शराब बनाने, व्यापार करने, रखने, लाने-ले जाने, बेचने और पीने पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बावजूद यहां आए दिन शराब की खेप पकड़ी जाती है और इसके कारण लोगों की मौत होती है। उधर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार से सवाल किया है।
उन्होंने ट्वीट कर पूछा “पांच दिन पहले मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब से 10 की मौत हुई थी। गोपालगंज में कल और आज 20 लोगों की मौत हुई। बेतिया में आज फिर 13 लोगों की मौत हुई। पुलिस ज्यादातर शवों को बिना पोस्टमॉर्टम के जला रही है। इन मौतों के जिम्मेवार क्या शराबबंदी का बेसुरा ढोल पीटने वाले मुख्यमंत्री सह गृहमंत्री नीतीश कुमार नहीं है?”
हालांकि, अभी उतनी मौतों की पुष्टि नहीं हो सकी है, जितनी मौतों के दावे उन्होंने ट्वीट में किए हैं।
उधर, कांग्रेस ने शराबबंदी कानून को इन मौतों का जिम्मेदार ठहराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने बयान जारी किया है।
बयान में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “ज़हरीली शराब पीने से गोपालगंज में 20 लोगों की और पश्चिमी चंपारण में 18 लोगों की मौत हुई है। नीतीश कुमार का शराबबंदी कानून अवैध और जहरीली शराब की सबसे बड़ी वजह है। कानून को लागू कर पाने में नीतीश कुमार बुरी तरह से विफल साबित हुए हैं। अपने अहंकार की तुष्टि के लिए नीतीश कुमार सालाना सौ-डेढ़ सौ लोगों को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं।”
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि शराबबंदी कानून सत्तारूढ़ दलों के कुछ नेताओं व पुलिस के कुछ अधिकारियों की अवैध कमाई का जरिया बन गया है। भाजपा-जदयू नेताओं और पुलिस के भ्रष्ट गठजोड़ से अवैध शराब के धंधेबाज ताकतवर होते जा रहे हैं और बड़े पैमाने पर पंचायत चुनावों को प्रभावित करने की क्षमता हासिल कर चुके हैं।