Adi Shankaracharya : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) पहुंच चुके हैं। यहां पहुंचकर उन्होंने विकास कार्यों का जायजा लिया। प्रधानमंत्री ने 18 मिनट तक बाबा केदार के गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। उन्होंने आदि गुरु शंकराचार्य (Aadi Shankaracharya) की 12 फीट लंबी और 35 टन वजन वाली प्रतिमा का अनावरण किया। अनावरण के बाद पीएम ने प्रतिमा के पास बैठकर उपासना की।
इस प्रतिमा को मैसूर स्थित मूर्तिकार ने बनाया है। बता दें कि आदि गुरु शंकराचार्य समाधि की मूल प्रतिमा 2013 में आई प्राकृतिक आपदा (Kedarnath Aapda) में बह गई थी। इसे केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे और समाधि क्षेत्र के बीच में बनाया गया है। थोड़ी देर में पीएम 400 करोड़ रुपये से अधिक की पुनर्निर्माण परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे।
कौन थे आदि शंकराचार्य:
शंकराचार्य को चार मठों (Four Mathas in India) की स्थापना करने के लिए जाना जाता है। वैशाख मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को उनकी जयंती मनायी जाती है। केरल (Kerala News) में जन्मे आदि शंकराचार्य ईसा पूर्व 8वीं शताब्दी के भारतीय आध्यात्मिक धर्म गुरू थे। उस दौरान भिन्न-भिन्न मतों में बंटे हिंदू धर्मों को जोड़ने का काम उन्होंने किया। उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को समेकित किया और पूरे भारत में चार मठ की स्थापना की।
चार दिशाओं में की चार मठों की स्थापना:
हिंदू धर्म को एकजुट करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उनके द्वारा स्थापित चार मठों में रामेश्वरम (Rameshvaram) में श्रृंगेरी मठ, उड़ीसा के पुरी में गोवर्धन मठ, गुजरात के द्वारका में शारदा मठ, उत्तराखंड में ज्योतिर मठ है। बता दें कि ये चारों मठ भारत की चार दिशाओं में स्थित है। कहा जाता है कि इन मठों की स्थापना करने के पीछे आदि शंकराचार्य का उद्देश्य समस्त भारत के एक धागे में पिरोना था।
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा:
केदारनाथ में 2013 में आये जल प्रलय के बाद आदि शंकराचार्य की मूर्ति को फिर से स्थापित किया गया है। यह मूर्ति मंदिर के पीछे स्थापित है। जहां शंकराचार्य ने अपनी समाधि ली थी। वहीं इस मूर्ति के निर्माण के लिए लगभग 130 टन एक ही शिला का चयन किया गया था। मूर्ति को तराशने के बाद इसका वजन लगभग 35 टन रह गया है।
इस प्रतिमा की सतह को चमकदार बनाने के लिए नारियल पानी का खूब इस्तेमाल किया गया है। जिससे आदि शंकरचार्य की मूर्ति से “तेज” का आभास हो सके। मूर्ति निर्माण कार्य में 9 लोगों की टीम ने काम किया। सितंबर 2020 में इसका काम शुरू हुआ था और तकरीबन एक साल तक अनवरत चलता रहा।