Electricity Crisis : (बिहारी खबर)। तो क्या गुल हो जाएगी पूरे देश की बिजली। जी हां, हालात कुछ ऐसे ही बन रहे हैं। अगले कुछ दिनों में देश पावर कट की चपेट में आ सकता है क्योंकि देश में केवल 4 दिन के उपयोग लायक कोयला बचा हुआ है। अब चूंकि भारत में बिजली उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल कोयले का ही होता है इसलिए पावर कट की आशंका बन गई है। कई विद्युत उत्पादन इकाइयां ठप्प हो सकती हैं। ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन केंद्रों में कोयले का स्टॉक बहुत कम हो चुका है।
देश में खानों से दूर विभिन्न राज्यों में स्थित (नॉन-पिटहेड) 64 बिजली उत्पादन यूनिट हैं। बताया जा रहा है कि इन विद्युत उत्पादन संयंत्रों के पास अब चार दिन से भी कम का कोयला भंडार शेष बचा है। बता दें कि जो विद्युत उत्पादन संयंत्र कोयला खानों से दूर स्थित होते हैं, उन्हें नॉन-पिटहेड कहते हैं।
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सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इन बिजली उत्पादन केंद्र में कोयले का स्टॉक खत्म हो रहा है और आने वाले तीन-चार दिनों में इनके पास का समूचा स्टॉक ही खत्म हो जाएगा।
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 25 ऐसे बिजली संयंत्रों में तीन अक्टूबर को सात दिन से भी कम समय का कोयला भंडार था। देश के 64 ताप बिजली संयंत्रों के पास चार दिनों से भी कम समय का ईंधन बचा है। सीईए 135 बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार की निगरानी करता है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता दैनिक आधार पर 165 गीगावॉट है।
देश में कोयले के संकट का असर राज्य की बिजली उत्पादन इकाइयों पर पड़ने लगा है। हरदुआगंज (अलीगढ़) और पारीक्षा (झांसी) की दो-दो कुल चार इकाइयों से बिजली का उत्पादन पूरी तरह ठप कर दिया गया है। कोयले से चलने वाली अन्य उत्पादन इकाइयां भी कम क्षमता पर चल रही हैं। बताया जाता है कि उत्पादन कम होने से प्रबंधन को बिजली की कमी पूरी करने के लिए अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ रही है।
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उत्तरप्रदेश के हरदुआगंज की एक 110 मेगावाट और एक 250 मेगावाट की इकाई से बिजली का उत्पादन कोयले की कमी के कारण पूरी तरह बंद कर दिया गया है। यहां की 250 मेगावाट क्षमता की तीसरी इकाई को 100 मेगावाट कम क्षमता पर चलाया जा रहा है। वहीं पारीक्षा की 210 और 250 मेगावाट क्षमता की एक-एक इकाइयों से बिजली उत्पादन ठप करना पड़ा है। यहां की शेष दो इकाइयों को 130 मेगावाट क्षमता से चलाया जा रहा है।
ओबरा की इकाइयों के पास चार दिन और अनपरा की इकाइयों के पास तीन दिन के लिए ही कोयले का स्टाक बचा है। यदि जल्द की कोयला इन इकाइयों के पास नहीं पहुंचा तो यहां भी उत्पादन ठप हो सकता है। कोयला स्टाक में आई कमी के लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन की खामियां सामने आ गई हैं।