Kanhaiya Kumar : (बिहारी खबर)। जेएनयू छात्रसंघ (JNU Student Union) के पूर्व अध्यक्ष व वामपंथी नेता कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने का साइड इफेक्ट बिहार (Bihar) में दिखना शुरू हो गया है। वामदल तो नाराज हैं ही, मुख्य विपक्षी दल राजद (RJD) भी खफा हो गया है। कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल पर जहां राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव (Shakti Singh Yadav) उल्टा सवाल करते हैं कि “कौन कन्हैया, मैं किसी कन्हैया को नहीं जानता।” वहीं, राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने साफ तौर पर कह दिया है कि कांग्रेस के लिए कन्हैया एक और सिद्धू साबित होंगे।
बता दें कि बिहार में विपक्षी दलों का “महागठबंधन” पहले से बना हुआ है। इस महागठबंधन में प्रदेश स्तर पर राष्ट्रीय जनता दल मुख्य भूमिका में है। वहीं, कांग्रेस, वामदल- सीपीआई व सीपीएम (CPI and CPM) भी इस महागठबंधन का हिस्सा हैं। पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों में यही महागठबंधन एनडीए के खिलाफ बिहार में चुनावी मैदान में उतरा था और करीबी मुकाबले में चंद सीटों के अंतर से सरकार बनाने से चूक गया था। विधानसभा (Bihar Assembly) में बहस का मामला हो या राज्य में किसी आंदोलन-प्रदर्शन का मामला, अभी भी ये सभी विपक्षी दल साथ दिखते हैं।
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कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) के कांग्रेस में शामिल होने के बाद राजद नाराज है लेकिन खुले तौर पर अभी विरोध नहीं कर रहा है। लेकिन राजद नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) इस मामले को लेकर पहली बार खुलकर सामने आए हैं। तिवारी ने खुले तौर पर कन्हैया को लेकर अपनी बातें रखीं हैं।
शिवानंद तिवारी ने कन्हैया के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था, “कांग्रेस एक बड़ा जहाज है जिसे बचाने की जरूरत है”। राजद नेता ने सीधे तौर पर कहा, “वह एक और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) की तरह है जो पार्टी को और बर्बाद कर देगा।”
राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कांग्रेस को डूबता जहाज भी बता दिया। तिवारी ने कहा, “कन्हैया कुमार के शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वह पार्टी को नहीं बचा सकते। कांग्रेस एक डूबता जहाज है और इसका कोई भविष्य नहीं है।”
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दरअसल, बिहार में नेता प्रतिपक्ष राजद के तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी इस एपिसोड से खफा बताए जा रहे हैं। वह इसलिए, कि कन्हैया को कांग्रेस में शामिल किए जाने को लेकर उनकी राय क्यों नहीं ली गई। चूंकि कन्हैया बिहार से हैं। बिहार के बेगूसराय (Begusarai) से वामदलों के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं ऐसे में जाहिर है कि भविष्य की कांग्रेस की राजनीति में बिहार में उनका दखल बढ़ेगा। बिहार की राजनीतिक स्थिति-परिस्थिति पर भी कुछ न कुछ असर पड़ सकता है।
याद दिला दें कि जब कन्हैया कुमार पिछले लोकसभा चुनाव (Parliamentary elections) में वामदलों की ओर से उम्मीदवार थे तो राजद ने भी वहां से अपना उम्मीदवार दिया था। खूब जोर लगाने के बावजूद कन्हैया वहां से 4 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से पराजित हो गए थे। बीजेपी के गिरिराज सिंह, (Giriraj Singh) जो फिलहाल केंद्रीय मंत्री हैं, उन्होंने वहां से जीत दर्ज की थी।
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बिहार में पिछले विधानसभा चुनावों में कन्हैया कुमार सीपीआई की ओर से स्टार प्रचारक बनाए गए थे लेकिन पूरे राज्य में तेजस्वी और कन्हैया की एक भी संयुक्त सभा (Joint meeting) नहीं हुई थी। दोनों की संयुक्त सभा न होने को लेकर उस वक्त यह भी कहा गया था कि राजद ऐसा नहीं चाहता था। यह भी माना जाता है कि तेजस्वी ने कन्हैया के साथ मंच साझा करने की सहमति नहीं दी थी। अब वही कन्हैया जब कांग्रेसी बन चुके हैं तब राजद के साथ कांग्रेस के संबंधों पर असर पड़ना भी तय माना जा रहा है।
बता दें कि बीते 28 सितंबर को ही कन्हैया कुमार ने कांग्रेस का हाथ थामा था। इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस की काफी तारीफ की थी और यहां तक कहा था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है और वो बचेगी तभी देश बचेगा। उस दिन कन्हैया के साथ गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh Mewani) भी ‘वैचारिक रूप से’ कांग्रेस के साथ जुड़े, हालांकि, विधायक होने के कारण कुछ तकनीकी मुद्दों के मद्देनजर आने वाले दिनों में वह औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे।
इससे पहले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की (Bhagat Singh) जयंती के अवसर पर इन दोनों युवा नेताओं ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और उनके साथ शहीद पार्क जाकर भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।