पटना। जयप्रकाश विश्वविद्यालय किसी न किसी कारण से हमेशा सुर्खियों में रहता है। एक बार फिर विद्यार्थी संगठन ने वीसी पर आरक्षण नीतिः को तार तार किए जाने, व्यवसायिक कोर्स बंद किए जाने सहित भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाया है। साथ ही छात्रों से जुड़े कई मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप भी लगाते हुए वीसी प्रो. फारुख अली का पुतला फूंका है।
बुधवार को छात्र संगठन RSA ने गंगा सिंह कॉलेज के गेट पर कुलपति का पुतला दहन किया। छात्रों का आरोप था कि यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर फारुख अली तीन महीने में ही ऐसे भ्रष्टाचार में डूब गए थे कि इनका वित्तीय व नीतिगत निर्णय लेने का पावर राजभवन को सीज़ करना पड़ गया। साथ ही कुलपति छात्र हित में कोई भी कार्य नहीं कर रहे हैं। संगठन का आरोप था कि आए दिन नया-नया घोटाला सामने आ रहा है तथा भ्रष्टाचार का तांडव नृत्य हो रहा है। वहीं सारण प्रमंडल के गरीब छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा है।
संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, “स्नातक नामांकन के लिए जो मेघा सूची का प्रकाशन विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा किया गया है, उसमें मेघा का ध्यान नहीं रखा गया है तथा आरक्षण नीति का पालन नहीं हुआ है। छात्र का नामांकन के लिए नाम महिला कॉलेज में निकला हुआ है। राज्य सरकार की पॉलिसी के उलट में छात्राओं से भी नामांकन शुल्क के नाम पर 1 हजार रुपया लिया जा रहा है। कई महाविद्यालय में छात्र-छात्रा नामांकन के लिए आये लेकिन महाविद्यालय ने नामांकन नही लिया।
स्पोर्ट्स व NCC-NSS में उत्कृष्ट प्रदर्शन वालों का भी नामांकन में ध्यान नहीं रखा
विद्यार्थियों का आरोप था कि स्पोर्ट्स, NCC, NSS, सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने वाले छात्रों के लिए नामांकन में आरक्षण नियम का पालन नही हुआ है, जबकि नामांकन नियमावली में स्पष्ट है कि जो छात्र -छात्रा इन गतिविधियों से संबंध रखते हैं तो उन्हें नामांकन में विशेष सुविधा दी जाएगी। उनके लिए कोटा का निर्धारण किया जाएगा। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर कोई भी कार्रवाई नही किया। साथ ही राज्य सरकार ने इसी वर्ष घोषणा किया है कि नामांकन में छात्राओं के लिए प्रत्येक विषय में 33 % आरक्षण नियम का पालन किया जाएगा, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने मेघा सूची प्रकाशन में इसका भी ध्यान नहीं रखा।
उन्होंने आरोप लगाया कि यूएमआईएस के माध्यम से नामांकन में भारी धांधली किया जाता है। पिछले सत्र के नामांकन में भी भारी गड़बड़ी की गई है। कई छात्रों ने आरोप लगाया कि पैसा लेकर कम मेघा वाले छात्रों को नामांकन कर दिया गया। मेघा वाले छात्र -छात्रा रोड पर भटकते रहे और नामांकन से वंचित हो गए। इस बार भी वही हुआ है। विश्वविद्यालय प्रशासन राज्य सरकार से सीटों के बढ़ोतरी के लिए कोई भी पत्र नहीं लिखा है। उन्होंने मांग किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द से जल्द राज्य सरकार से सीट की बढ़ोतरी 4 गुना अधिक कराएं।
VC ने कॉलेजों में चल रहे व्यवसायिक कोर्स बंद कर दिए
जय प्रकाश विश्वविद्यालय के अंतर्गत जिन वोकेशनल कोर्सेज को मान्यता दी गयी है। उनमें बैचलर ऑफ मास कम्यूनिकेशन (बीएमसी), बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए), बायोटेक(बीटी), इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी(आइएमबी), इनवायरमेंटल साइंस (इएस), इंडस्ट्रियल फिश एंड फिशरी( आइएफएफ), कम्युनिकेटिव इंग्लिश(सीइ), फंक्शनल इंग्लिश, फंक्शनल हिंदी व सेल्स एंड प्रोमोशन मैनेजमेंट शामिल है। मास कम्युनिकेशन व फंक्शनल हिंदी की पढ़ाई पहले भी राजेंद्र कॉलेज में होती थी। एक तरफ जहां राजभवन से लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) का कॉलेज व विश्वविद्यालय में व्यवसायिक कोर्स खोलने का पूरा जोर है। उसके लिए कई तरह के प्रोग्राम चलाया जा रहे हैं। उसके उलट जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कॉलेजों में चल रहे व्यवसायिक कोर्स बंद कर दिए गए।
राजेंद्र कॉलेज में चलता था यह व्यवसायिक कोर्स
राजेंद्र महाविद्यालय में चल रहे तीन व्यवसायिक कोर्स में सत्र -2019- 20 , 20-21, एवम 21 -22में भी नामांकन नहीं लिया गया। जबकि व्यवसायिक कोर्स में नामांकन के लिए ना ही राज्य सरकार ना ही राजभवन ने रोक लगाया है। छात्रों ने सवालिया लहजे में कहा, “कुलपति आखिर इन कोर्सेज में नामांकन क्यों नहीं ले रहे हैं?”
राजेंद्र कॉलेज में चल रहे व्यवसायिक कोर्स बीबीए में 60, बीजेएमसी में 60 एवं बॉयोटेक्नोलॉजी में 40 सीट पर नामांकन होता रहा है।
पैट एग्जाम जल्द हो
संगठन ने कहा कि शोध कार्य करने वाले छात्र- छात्राओं के लिए जांच परीक्षा 4 वर्षों से नहीं हो पा रहा है। 2 वर्षों से सेमिनार/ सिंपोजियम का आयोजन नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण जो छात्र- छात्रा शोध कर रहे हैं, वे अपना शोध ग्रंथ विश्वविद्यालय में जमा नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में अराजकता का माहौल कुलपति ने कायम कर दिया है।
गंगा सिंह विधि महाविद्यालय में भी पढ़ाई प्रारंभ किया जाए
छपरा में विधि का एक पुराना महाविद्यालय गंगा सिंह विधि महाविद्यालय स्थापित है। इस महाविद्यालय के पास ना तो अपना भवन हैं और ना ही अभी तक स्थाई शिक्षक । इसलिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया से इसे स्थाई मान्यता कभी नहीं मिली है। जयप्रकाश विश्वविद्यालय ने अपने सिडिकेट और सीनेट के बैठक में इस महाविद्यालय को जयप्रकाश विश्वविद्यालय के संकाय के रूप में स्थापित करने का निर्णय पूर्व में लिया है। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
छात्रों ने मांग किया कि प्रस्तावित गंगा सिंह विधि संकाय के निर्माण मैं तेजी लाया जाए। इसमें विधि स्नातक से लेकर परास्नातक की पढ़ाई सुनिश्चित कराई जाए। विधि संकाय में तुरंत पद स्वीकृत करके स्थाई एवं योग्य शिक्षकों की नियुक्ति हो। विधि संकाय में महर्षि गौतम अध्ययन केंद्र बने। साथ ही मान्यता दिला कर गंगा सिंह विधि महाविद्यालय में भी पढ़ाई प्रारंभ किया जाए।
संगठन ने कहा कि सारण प्रमंडल में लॉ की पढ़ाई के लिए इकलौता कॉलेज होने के कारण लॉ की पढ़ाई का सपना रखने वाले छपरा, सिवान, गोपालगंज के छात्रों को इससे काफी लाभ हुआ करता था लेकिन इसके बंद होने से लॉ की पढ़ाई की इच्छा रखने वाले छात्र दर दर भटक रहे हैं।
ओबीसी छत्रवास को खाली करवाकर छात्र छात्राओं को हो एलॉट
शोध विद्यार्थी सनवथन ने कहा कि ओबीसी छात्रावास को खाली कराकर छात्र-छात्राओं को आबंटित किया जाय। उन्होंने कहा, “आंदोलन के माध्यम से हम लोग मांग करते हैं कि जल्द से जल्द करवाई किया जाए।”
इस मौके पर प्रमुख रूप से RSA के संरक्षक मनीष पांडे मिंटू, संयोजक परमेन्द्र कुमार सिंह, सहसंयोजक विकास सिंह सेंगर, सचिव छोटू सिंह, संरक्षक उज्जवल सिंह, प्रवक्ता सौरव सिंह गोलू, विवेक कुमार गोलू, प्रवीण सिंह, मनीष सिंह, गोलू सिंह, रुपेश यादव, मोनू बाबा, ऋषब सिंह, चंदन सिंह, अमित सिंह, बृजेश सिंह, वीरू पांडे आदि उपस्थित थे।
उधर इन मुद्दों को लेकर विश्वविद्यालय की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।