पटना में बाढ़ का खतरा बढा, गंगा से जुड़े नाले किए गए बंद, कई घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए निर्धारित स्थल भी डूबे

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पटना। बिहार में गंगा, सोन, पुनपुन, घाघरा और गंडक सहित सभी नदियां रौद्र रूप दिखा रहीं हैं। खासकर राजधानी पटना पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। गंगा के जलस्तर में हुए इजाफे के कारण सभी नालों के गेट बंद कर दिए गए है। साथ ही गंगा किनारे में स्थित मोहल्लों के लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है।

उधर पटना में गंगा के बढ़ते जलस्तर ने अब अंतिम संस्कार करने वालों की मुसीबत भी बढा दी है। पटना के गुलबी घाट पर बने विद्युत शवदाहगृह में पानी घुसने और उससे हुए शार्ट सर्किट के बाद विद्युत शवदाहगृह को बंद कर दिया गया है।
पटना के दीघा घाट, बांसघाट और गुलबी घाट के पास लकड़ी से कराए जाने वाले अंतिम संस्कार की जगह पूरी तरह डूब गई है। गुलबी घाट पर विद्युत शवदाहगृह में पानी घुस गया है और शार्ट सर्किट की वजह से मशीन बंद हो गई है। इस कारण शवों का अंतिम संस्कार बेहद मुश्किल हो गया है। परिजन घुटने भर पानी में घुस कर किसी तरह से मशक्कत कर शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।

पटना में कई सालों के बाद बाढ़ का संकट गंभीर नजर आ रहा है। गंगा नदी के किनारे बनी पटना की सुरक्षा दीवार को गंगा पार कर गई है। गंगा के जलस्तर में पिछले 24 घंटे में 17 सेंटीमीटर का इजाफा हुआ है और अब नदी खतरे के निशान से 116 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। यही वजह है कि पटना की सुरक्षा दीवार को बाढ़ का पानी पार कर गया है। पटना के सभी गंगा घाटों को अब पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है।

पटना के दीघा घाट पर गंगा का जलस्तर 51.02 मीटर से ऊपर है। यहां खतरे का रिचार्ज 50.45 मीटर है। गांधी घाट पर गंगा का जलस्तर 49.76 मीटर है जबकि यहां खतरे का निशान 48.60 मीटर है। इसी तरह हाथीदह में गंगा का जलस्तर 42.85 मीटर है। यहां खतरे का निशान 41.46 मीटर है। गंगा के बढ़ते जलस्तर और राजधानी पटना पर मंडराते बाढ़ संकट को देखते हुए जल संसाधन विभाग द्वारा अलर्ट जारी कर दिया गया है।

इधर, गंगा के बढ़े हुए जलस्तर के कारण पटना से गंगा में मिलने वाले सभी नालों के गेट बंद कर दिए गए हैं। इन नालों के जरिए पटना में पानी प्रवेश करने का खतरा बढ़ा हुआ है। गंगा किनारे रहने वालों को एलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दे दिया गया है। जिनका भी आवास सुरक्षा दिवार के अंदर है उन सभी को अलर्ट कर दिया गया है।

बुधवार को गंगा इलाहाबाद से फरक्का तक लाल निशान के ऊपर बह रही थी लेकिन पटना के गांधी घाट में अबतक के उच्चतम स्तर से मात्र 60 सेमी नीचे थी।
खास बात यह है कि केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार अभी गंगा का जलस्तर और बढ़ने की संभावना है। पटना के दीघा घाट में भी यह नदी हर घंटे एक सेमी की रफ्तार से चढ़ रही है।

इलाहाबाद से फरक्का तक सभी जगहों पर लाल निशान से ऊपर बह रही है। पुनपुन और सोन भी पटना में लाल निशान से काफी ऊपर चली गई है। गाधी घाट पर गंगा का 2016 में बना उच्चतम जलस्तर 50.52 मीटर है। वहां यह नदी बुधवार को 49.90 मीटर जलस्तर के साथ बह रही है और लाल निशान से 1.30 मीटर ऊपर थी।

उधर दीघा घाट में गंगा बीते 24 घंटे में 27 सेमी बढ़कर लाल निशान से 83 सेमी ऊपर चली गई है। गंगा हाथीदह में लाल निशान से 118, भागलपुर में 37 और कहलगांव में 92 सेमी ऊपर बह रही है। इस नदी का जलस्तर सभी जगहों पर और बढ़ने की आशंका है।
पटना के लिए खतरा यह है कि पुनपुन ने भी अपना तेवर बदल लिया है। पटना के श्रीपालपुर में यह नदी एक बार फिर लाल निशान से 175 सेमी ऊपर चली गई है। पिछले 24 घंटे में इस नदी का जलस्तर 47 सेमी बढ़ा है तथा इसके और बढ़ने की आशंका है। सोन भी मनेर में तीन दिन से लाल निशान से ऊपर बह रहा है। बुधवार को मनेर में यह नदी 72 सेमी के लाल निशान से ऊपर है।
उधर, कोसी नदी का डिस्चार्ज भी बढ़ा है। कोसी नदी से बराह क्षेत्र में 98 हजार और बराज पर एक लाख 35 हजार घनसेक पानी मिल रहा है। यह नदी खगड़िया में अभी भी लाल निशान से 107 सेमी ऊपर है। गंडक का डिस्चार्ज भी बाल्मिकीनगर पर बराज पर एक लाख चार हजार घनसेक है। यह नदी गोपालगंज में लाल निशान से 20 सेमी ऊपर है। दूसरी नदियों में बागमती मुजफ्फरपुर में 82 और बूढ़ी गंडक खगड़िया में 82 सेमी और कमला झंझारपुर में 40 सेमी ऊपर बह रही है।

इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में गंगा किनारे के इलाकों और घाटों का जायजा लिया। जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, “आज हमने गंगा नदी के आसपास के कई इलाकों का दौरा कर अधिकारियों के साथ पूरी स्थिति को देखा है। 2016 में गंगा नदी के किनारे वाले जिलों में बाढ़ के पानी से जो असर हुआ था, उसे ध्यान में रखते हुए इस बार पूरी तैयारी करने का निर्देश दिया है।”

इसके बाद उन्होंने गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के पश्चात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक भी की।