छपरा। जिले के पानापुर प्रखंड के भोरहां एवं कोंध पंचायत की सीमा से गुजरने वाली मही नदी के जगह जगह अतिक्रमण से जलजमाव की समस्या विकट हो गयी है।बारिश के पानी की निकासी नही होने से भोरहां पंचायत के वार्ड संख्या चार ,छह एवं सात के दर्जनों परिवारों के घरों में पानी घुस गया है।दर्जनों परिवार करीब एक माह से नारकीय जीवन जीने को विवश हैं।
वही कोंध एवं भोरहां पंचायत के सैकड़ो एकड़ में लगी फसलें जलमग्न हो गयी है।जलजमाव के कारण मही नदी के तटीय इलाकों के खेतों में इतना पानी जमा हो गया है कि अधिकांश किसान खेती ही नही किये हैं, जो खेती किये हैं उनकी भी फसलें बारिश के पानी मे डूब गयी हैं।
प्रशासनिक उदासीनता से अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद
मालूम हो कि सारण तटबंध के रामपुररुद्र गांव से निकलनेवाली मही नदी कोंध ,भोरहां होते हुए तरैया प्रखंड के नवरतनपुर ,फरीदनपुर ,भलुआ होते हुए पचौडर तक जाती है।बरसात का पानी इसी मही नदी से होकर निकल जाता था।स्थानीय लोगों का आरोप है कि विगत दशकों में धीरे धीरे अतिक्रमणकारियों ने मही नदी का अतिक्रमण करना शुरू कर दिया जिससे जलजमाव की स्थिति गंभीर होते गयी।पूर्व में मही नदी को अतिक्रमणमुक्त कराने की पहल भी हुई थी लेकिन दो पक्षों के बीच उत्पन्न तनाव के मद्देनजर प्रशासन ने भी अपने हाथ खड़े कर लिए थे।इसके बाद प्रशासनिक उदासीनता के कारण अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद होते गए।आज आलम ये है कि मही नदी का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है, जिस कारण कोंध एवं भोरहां पंचायत की हजारों आबादी जलजमाव की समस्या से जूझ रही है।
इस मामले को लेकर शनिवार को बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीणों ने जिलापार्षद प्रतिनिधि अभिषेक रंजन सिंह उर्फ मुनचुन सिंह से मुलाकात की एवं जलजमाव की समस्या का स्थायी निदान निकालने की गुहार लगायी।बाद में जिलापार्षद प्रतिनिधि सहित दर्जनों ग्रामीणों ने सीओ को आवेदन देकर जलजमाव की समस्या के निदान करने की गुहार लगायी।
उधर सीओ रणधीर प्रसाद ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण करनेवालो के खिलाफ आवेदन दिया जाता है तो मापी कराकर मही नदी को अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा।